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Tuesday, December 6

Different type of stomach pain and medicine

विभिन्न प्रकार के पेट दर्द और दवा
विभिन्न प्रकार के पेट दर्द और दवा

 पेट दर्द एक बिल्कुल समान आम समस्या है और पेट दर्द अलग-अलग कारणों से होता है और कारण बदलने के साथ पेट दर्द होने की जगह भी बदल जाती है इसी कारण से काफी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है जब पेशेंट आता है तो उसे किस तरह की दवा दी जाए, किस तरह की दवा दी जाए जिससे उसका जल्दी पेट ठीक हो जाए इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए आज हम जानेगे पेट दर्द को कैसे पहचानें? 

साथ ही किस कारण से पेट के किस हिस्से में दर्द होता है? 

पेट के किन हिस्सों में दर्द होने पर कौन सी टूट जाता है?

पेट दर्द को किसी परिचित के लिए सबसे पहले हमें पेट की संरचना एब्डोमिनल एनाटॉमी की जानकारी होना जरूरी है यह एब्डोमिनल एरिया हमारी नाभि के ऊपर नीचे दायें तथा बाइक का जो एरिया हैं 

विभिन्न प्रकार के पेट दर्द
विभिन्न प्रकार के पेट दर्द 


पूरा कंप्लीट होता है ये हमारे फेफड़े से खत्म होने से घेरा जो कमर का निचला हिस्सा है, यहां तक ​​का एरिया इसे हम चित्र से समझ लेते हैं क्योंकि आप स्क्रीन पर देखकर पा रहे हैं निशान खत्म होते ही हमारा लिवर शुरू हो जाता है। और लिवर के नीचे बाईं ओर पेट जैसे कि हिंदी में आमाशय और लिवर के राइट साइड में नीचे की ओर पित्ताशय है, गालब्लैडर के नीचे लार्ज इंटेनस्टाइन जो असेंडिंग लार्ज इन्टेंस्टाइन भी कहते हैं, भोजन को ऊपर की ओर भेजती है फिर बीच में सेंटर हो के बाईं बड़ी आंत से नीचे की ओर मलाशय में चला जाता है और जो बड़ी आंत में ऊपर की ओर जाता है, जो पीछे की तरफ वाली होती है, इसके नीचे जो छोटा मुंह दिखाता है, यह अपेंडिक्स है  

अपेंडिक्स से थोड़ा ऊपर की ओर इसके पीछे किडनी होती है? केंद्र में ऊपर पेट होता है इसके ठीक पीछे की ओर पेनक्रियाज होती है पेनक्रियाज के नीचे जो केंद्र में आ जाती है, छोटी आंत रहती है और यदि बाईं ओर की दिशा में होती है तो बाईं ओर बड़ी आंत में होती है


 मतलब नीचे की तरफ जो खाने को भेजता है और लेफ्ट साइड किडनी भी होती है और अब अगर लोअर एब्डोमेन की बात करें तो लोअर एब्डोमेन में फीमेल अगर बात करें तो यहां पे यूटरस वेरी यह जरूरी रहते हैं और बाकी पुरुष और महिला दोनों में रेक्टम और यूरिनरी ब्लेडर ये सभी होते हैं तो यह मोटा मोटा एनाटोमी था जीसको आपको इसकी जानकारी जानने के लिए जरूरी था कि आप पेट में किस तरफ कौन सी चीज है? अब हम यह समझ लेते हैं कि किस जगह पर किस कारण से दर्द होता है और थोड़ा बहुत आपको कॉस लग गया होगा जिससे कि आप एनाटॉमी जानी जाती थी अब बात करते हैं अपर एब्डोमिनल पेन है जहां सबसे ऊपर हमें कलेजे में जो होता है फेफड़े के नीचे दर्द होता है बीचोबीच तो यह दर्द, पेप्टिक अल्सर, हार्ट बर्न और इनडाइजेशन अपच की वजह से हो सकता है 

 


अगर बात करें पेट के ऊपरी हिस्से में राइट साइड में और किस तरह का दर्द होता है तो ये गाल ब्लेडर में किसी तरह की समस्या होने पर गिल स्टोन होने पर पथरी हो जाने पर गाल ब्लैडर में यह दर्द होता है और ऊपरी साइड की जो लेफ्ट साइड है इसमें अपर साइड का साइड और अपर साइड के लेफ्ट हैं ये तीनों ही दोनों फेफड़े के नीचे और आघात के पास में ये लगातार जो दर्द होता है वो आपको होता है पेनक्रिएटाइटिस पेनक्रियाज में सूजन आ जाने के कारण से 



अब अगर आगे बढ़ता है, राइट साइड में पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है, वो क्यों होता है? उसे एपेंडिस के कारण गुर्दे के कारण होता है और महिलाओं में किसी भी प्रकार की समस्या होने का कारण ऊपरी पेट में दर्द होता है और इसका एक कारण होता है 

 कोलाइटिस होने के कारण ही किडनी में किसी भी तरह की समस्या के कारण ये लोअर लेफ्ट साइड में दर्द हो सकता है अब पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है जो अपनी नाभि के नीचे का जो नाभि है यहां पे दर्द होता है यहां दर्द होने का कारण यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है है आईबीएस इरीटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या ब्लोटिंग का मतलब बहुत अधिक गैस बन सकती है और इसके अलावा महिलाओं में पैल्विक इनफॉरमेट्री डिजीज या गर्भाशय से संबंधित किसी प्रकार की समस्या हो सकती है, इस तरह से पेट में जीएस प्लेस दर्द होता है। वो डिसाइड किया जाता है किस कारण से दर्द होता है अब अगर हमें पता चल गया है कि किस कारण से दर्द हो रहा है और किस जगह पर दर्द हो रहा है? हमें दवा देने में आसानी से हो जाती है, सामान्य तौर पर जो दवा दी जाती है, डॉक्टर द्वारा उसके बारे में जान लेते हैं 



जब पेट के ऊपरी हिस्से में बीचोबीच दर्द रहता है तो उस समय एंटासिड दवा दी जाती है मुख्य रूप से पेंटाप्राजोल ओमेप्राजोल रैबीप्राजोल इस प्रकार के कैप्सूल दिए जा सकते हैं जिन्हें हम लोगों का अनुमान कहते हैं और एंटासिड सिरप भी दी जा सकती है मुख्य एंटासिड सिरप डाइजिन सिरप दी जाती है जब पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है और जब दाहिनी ओर होता है तो आपको पेन रहेगा जो गॉलब्लैडर स्टोन का पेन है गॉलब्लेडर का दर्द तो उस समय तथा जो अपेंडिक्स का दर्द राइट साइड में नीचे की ओर रहता है इसमें किडनी स्टोन का भी दर्द हम समझ सकते हैं तो इसमें कुछ दर्दनिवारक दवाइयां दी जाती हैं वहां टैबलेट होती है डाइक्लोफेनाक, एसिक्लोफेनाक, निमसुलाइड,ट्रामाडोल या इसके साथ पेरासिटामोल संयोजन भी हो सकता है जो सामान्य पेनकिलर है यह इस समय दिया जाता है और किसी व्यक्ति को यदि बाईं ओर पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है जो कॉन्स्टिपेशन के कारण होता है तो इस कॉन्स्टिपेशन में लैग्जेटिव सिरप के साथ एंटीस्पास्मोडिक दवा दिया है 


 लैक्टुलोस लिक्विड दे सकते हैं, बिसाकोडील टैबलेट दे सकते हैं इसके अलावा डायसाइक्लोमिन टैबलेट ड्रोटावेरिन टैबलेट दे सकते हैं जिस से आप रुक जाएं 

आपके पेट में दर्द हो सकता है और यह भी जान सकता है कि पेट में म्यूकोसा नामक म्यूकस की एक स्लिपरी परत है। यह अस्तर आपके पेट को भोजन को पचाने वाले मजबूत एसिड से एसिड से जमा करता है। जब कोई चीज इस एक्सचेंज लाइनिंग को नुकसान पहुंचाती है या कमजोर करती है, तो म्यूकोसा में सूजन हो जाती है, जिससे आपको चलने में भी दर्द महसूस होता है, वही को गैस्ट्रस कहते हैं, इसके ऊपर मैंने वीडियो बनाया है जिसका लिंक में रखा है I बटन या डिस्क्रिप्शन बॉक्स में जाकर वहां जाकर आप देख सकते हैं

 अब बात करते हैं महिलाओं के पेट दर्द की

जब निचला पेन नाभि के नीचे के क्षेत्र में होता है तो यह यूरिन इन्फेक्शन के कारण हो सकता है महिलाओं को पेल्विक सूजन की बीमारी हो सकती है क्योंकि उस समय दर्द को ठीक करने के लिए एंटीस्पास्मोडिक दवाई दी जाती है जिसे इसे नीचे दिया गया है 


डाईसाइक्लोमिन या ड्रोटावेरिन इसके साथ पैरासिटामॉल मेनफैनिमिक एसिड, एसिक्लोफेनाक कॉम्बिनेशन भी हो सकता है और पुरुषों में अगर पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है तो यह आईबीएस इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कारण हो सकता है ब्लोटिंग मतलब गैस व अन्य कारण हो सकता है और जब येबीएस आई और ब्लास्टिंग के कारण उस समय एंटीस्पास्मोडिक दिया जाता है जो उसे पेट दर्द में दिया जाता है, जो दवाएं दी जाती हैं, उसके साथ पीया जाता है जिसे हमें पेंटाप्रोजोल, ओमेप्राजोल, रैबीप्राजोल दिया जाता है जिससे उसका दर्द ठीक हो सकता है तो यहां सामान्य रूप से आमतौर पर जो मुख्य रूप है जीस कारण से पेट दर्द होता है, जीस जगह पे पेट दर्द होता है और उस जगह के कारण से जो दिशा दी जाती है.....

किसी भी बीमारी को समझने के लिए या किसी भी दवा को यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह आवश्यक ले अगर ऐसा नहीं करती हैं तो इसके जिम्मेदार खुद आप हैं 

Friday, December 17

Important of kidney function

 

Important of kidney function
Important of kidney function

The kidneys are two or three bean-formed organs on either side of your spine, underneath your ribs and behind your stomach. Each kidney is around 4 or 5 inches long, for the most part the size of a gigantic hold hand. The kidneys' obligation is to channel your blood.

One of two or three organs in the mid-district. The kidneys take out squander and extra water from the blood (as pee) and help with keeping engineered materials

vrkk kasherukiyon mein pae jaane vaale do gulaabee kira rang ke been ke aakaar ke ang hain. They are arranged on the left and solidly in the retroperitoneal space, and in adult .

You have dry and irritated skin.

You see blood in your pee

Your pee is frothy

You're encountering persevering puffiness around your eyes.


The 7 elements of the kidneys


A - controlling ACID-base equilibrium.

W - controlling WATER balance.

E - keeping up with ELECTROLYTE balance.

T - eliminating TOXINS and side-effects from the body.

B - controlling BLOOD PRESSURE.

E - creating the chemical ERYTHROPOIETIN.

D - enacting nutrient D.


What causes kidney issue?


There are numerous potential reasons for kidney disappointment, including diabetes, hypertension, openness to undeniable degrees of prescription, outrageous lack of hydration, kidney injury, or different elements. Kidney sickness is ordered into five phases. These reach from extremely gentle to finish kidney disappointment.


Would you be able to live without a kidney?


Since your kidneys are so significant, you can't live without them. Be that as it may, it is feasible to carry on with an alive and well existence with just one working kidney.


What tone is pee when your kidneys are falling flat?


Light-brown or tea-shaded pee can be an indication of kidney illness or disappointment or muscle breakdown


For what reason do we want 2 kidneys?


They help your bones stay sound, advise your body when to make fresh blood cells, and even assist you with remaining upstanding when you're strolling around the entire day by dealing with your circulatory strain. With that large number of significant capacities, researcher think having two kidneys should be significant for our endurance.


Is drinking a ton of water useful for your kidneys?


your blood as pee. Water additionally helps keep your veins open so that blood can head out unreservedly to your kidneys, and convey fundamental supplements to them. Be that as it may, assuming you become dried out, then, at that point, it is more hard for this conveyance framework to work.


How might you differentiate between back torment and kidney torment?


Kidney torment is felt higher and more profound in your body than back torment. You might feel it in the upper portion of your back, not the lower part. Dissimilar to back distress, it's felt on one or the two sides, ordinarily under your rib confine. It's generally expected consistent.


Would kidneys be able to mend themselves?


may mend themselves. In most different cases, intense kidney disappointment can be dealt with assuming it's gotten early. It might include changes to your eating regimen, the utilization of meds, or even dialysis


Having three kidneys is uncommon, with less than 100 cases detailed in the clinical writing, as indicated by a 2013 report of a comparative case distributed in The Internet Journal of Radiology. The condition is thought to emerge during undeveloped turn of events, when a design that normally frames a solitary kidney parts in two.

किसी भी बीमारी को समझने के लिए या किसी भी दवा को यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह आवश्यक ले अगर ऐसा नहीं करती हैं तो इसके जिम्मेदार खुद आप हैं 

Thursday, December 2

stomach Acidity

 How to reduce stomach acidity

खाना पचना सीने में जलन होना गैस बनने की शिकायत खाना हजम ना होना इसके बारे में जानकारी दी गई है Acidity in stomach

 परिचय - जब आमाशय में 'अम्ल रस' की अधिकता होने लगती है तब उसको अम्लपित्त के नाम से जाना जाता है। अम्लपित्त एक पित्तजन्य विकार है इसीलिये इसका अम्लपित्त नामकरण किया गया है। नमक, खट्टे पदार्थ तथा अत्यधिक तीक्ष्ण गर्म वस्तुयें प्रयोग करने से पित्त प्रकुपित हो उठता है और 'अम्ल रस' की अधिकता होने लगती है। इसे हाइपर एसीडिटी/ हार्टवर्न भी कहते हैं।

acidity of stomach



रोग के प्रमुख कारण acidity of stomach


यह बीमारी आमाशय (पाक स्थली) में एसिड

(अम्ल) की अधिकता के कारण होती है। सामान्य अवस्था में पाक स्थली के भीतर स्थित छोटी-छोटी ग्रन्थियों से निकलने वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन को पचाने में मदद करता है, किन्तु यही अम्ल जब आवश्यकता से अधिक मात्रा में बनने लगता है तो छाती की हड्डी के पीछे भोजन नली में

जलन की अनुभूति होती है। एसिड प्रायः

निम्न कारणों से अधिक बनती है 

  •  मानसिक चिन्ता एवं हर काम में जल्दबाजी। 
  •  खाने में अधिक मिर्च, अचार व गर्म मसाले।
  •  तला व अधिक मसालेदार भोजन पेट भर खाने के बाद रात को बिना टहले सो जाना।
  •  भोजन समय पर न लेना।
  •   अधिक शराब के सेवन एवं धूम्रपान ।
  •  ज्यादा तम्बाकू व चूने, कत्थे का पान खाना।
  •  क्रानिक (Chronic) इसोफेजाइटिस एवं हाइटस हर्निया ।


रोग के प्रमुख लक्षण acidity in stomach symptoms


छाती के बीचों-बीच जलन होती है। अर्थात् सीना जलने लगता है। आँखों में जलन होती है, माथे पर तपन मालूम होती है। हथेलियों और पैरों के तलवों में भी जलन होती है। पेशाब लाल, पीले रंग का होता है, मल त्याग के समय मल गर्म लगता है। इस प्रकार पित्त पूरे शरीर में दाह और जलन पैदा करता । अम्ल पित्त की प्रारम्भिक स्थिति में जलन के लक्षण कम दिखायी देते हैं। जब रोग बढ़ जाता है तब जलन के लक्षण अधिक दिखाई देने लगते हैं। रोगी को ऐसा निरन्तर अनुभव होता रहता है जैसे उसके शरीर में सूक्ष्म ज्वर हो, किन्तु ज्वर की दवा लेने से यह लक्षण दूर नहीं होता। यही नहीं थर्मामीटर से भी इस ज्वर का पता नहीं लगता है।


इस रोग में भूख कम हो जाती है। अशक्ति, थकान, पैरों में पीड़ा, चक्कर आना, आँखों के सामने अँधेरा छा जाना आदि तकलीफें होने लगती हैं। रोगी का मल ढीली स्थिति में रहता है। कुछ लोग कब्जियत की भी शिकायत करते हैं। अम्ल की अधिक मात्रा बढ़ जाने पर रोगी के शरीर पर छोटी-छोटी फुंसियाँ हो जाती हैं। उसे हल्की-सी खुजलाहट भी होती है। रोगी के जोड़ों में पीड़ा होती है, बेचैनी बनी रहती है, खाने की इच्छा नहीं होती है। मुँह का स्वाद बिगड़ा रहता है। नींद में कमी आ जाती है। रोगी को कई बार रक्तस्राव भी होते देखा जाता है।

यदि अम्लपित्त का प्रभाव लम्बे समय तक जारी रहे, तो रोगी को गर्मी का प्रभाव स्पष्ट मालूम होने लगता है। इससे बाल झड़ने या सफेद होने लगते हैं। रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा

और क्रोधी हो जाता है।


रोग की पहचान what is acidity reflux


छाती के बीचों-बीच में जलन, इपीगैस्ट्रिक स्थान पर जलन व दर्द रोगी अँगुली का इशारा कर बताता है। खट्टी डकारें, मुँह में खट्टा व कड़वा जल भर आना, गर्म पेय या तला हुआ भोजन लेते ही जलन का होना आदि लक्षणों के देने पर रोग को पहचानने में कोई कठिनाई नहीं होती है।


रोग का परिणाम


इस व्याधि के उपद्रव स्वरूप कभी-कभी त्वचा के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। सावधानी न बरतने पर आगे चलकर पेट में अल्सर हो जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में आमाशय में तीव्र पीड़ा होती रहती है। रोग के अधिक जीर्ण होने पर दस्त के साथ आँव और पित्त निकलने की शिकायतें आम होने लगती हैं।


चिकित्सा विधि


भोजन की ओर विशेष ध्यान दें। खट्टे-चटपटे, मिर्च-मसालेदार तेल, घी, चिकनाईयुक्त खाद्य पदार्थ तत्काल बंद करा दें। चाय, कॉफी, शराब (मद्य), माँस, तम्बाकू, आधुनिक मसालेदार पुड़िया आदि का पूर्ण निषेध |आँवला और अनार को छोड़कर कोई खट्टा फल खाने को न दें। नये रोग में प्रोटीनयुक्त भोजन दिया जा सकता है। 


पथ्य एवं सहायक चिकित्सा


इस रोग में मैदायुक्त भोजन, आलू, गरिष्ठ भोजन, अधिक मात्रा में शक्कर, मिठाई, मिर्च और खट्टी चीजें न दें। आलू का सेवन उपयुक्त नहीं है। सुबह अण्डा, दोपह को हल्का भोजन, दूध, तीसरे पहर मक्खन लगे टोस्ट और शाम को हल्का आहार दे खाने से पहले Hydrochloric acidil. और खाने के बाद सोडा बाई कार्ब गोली दें।

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नोट-सोडा बाई कार्ब को शहद में मिलाकर 4-4 घण्टे बाद चटाने से भी लाभ होता मैग कार्ब भी दिया जा सकता है।

आधुनिक उपचार


रोगी को शुरू से ही एन्टासिड (Antacids) दें। प्रत्येक 4 से 6 घण्टे में 3 चम्मच एन्टासिड लें। जैसे

1. म्यूकेन जैल (Mucaine gel) 

2. डाइजिन जैल (Digine gel) या डाइजिन टेबलेट।

3. पोलीक्रोल फोर्ट जैल (Polycrol forte gel) |

 इसको लेने से जलन व दर्द में आराम मिलता है। उल्टी की शिकायत होने पर

इन्जेक्शन द्वारा मेटोक्लोप्रामाइड दें। इन्जेक्शन पेरीनॉर्म (Perinorm) । एम्पुल माँसपेशीगत या आई० वी० अथवा मेटोक्लोप्रामाइड की गोली दें।

अम्लपित्त / खट्टी डकारें आना / आमाशय की अम्लता | 13

यदि रोगी को हाथ में इन्फैक्शन हो तो एण्टीबायोटिक औषधियाँ भी देनी चाहिये। * करोसिव पायजनिंग के लिये शुरू में ही एण्टीडोट दें। रोगी को प्रत्येक अवस्था में इन्जेक्शन के द्वारा H, रिसेप्टर (Antagonist) दे सकते हैं। जैसे- इन्जे० एसिलोक (Aciloc) 2 ml. माँसपेशीगत या आई० वी० या इन्जेक्शन रेनटेक (Rantac ) 2ml. माँसपेशीगत या आई० वी० ।


* यदि ज्यादा खाना खाने से या चिकनाईयुक्त भोजन से रोग हो तो ईनो (Eno) या पेपेज (Pepz) ले सकता है। इससे तुरन्त आराम मिलता है।

किसी भी बीमारी को समझने के लिए या किसी भी दवा को यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह आवश्यक ले अगर ऐसा नहीं करती हैं तो इसके जिम्मेदार खुद आप हैं 


Saturday, April 24

How to reduce stomach acidity

खाना ना पचना सीने में जलन होना गैस बनने की शिकायत खाना हजम ना होना इसके बारे में जानकारी दी गई है Acidity in stomach

 परिचय - जब आमाशय में 'अम्ल रस' की अधिकता होने लगती है तब उसको अम्लपित्त के नाम से जाना जाता है। अम्लपित्त एक पित्तजन्य विकार है इसीलिये इसका अम्लपित्त नामकरण किया गया है। नमक, खट्टे पदार्थ तथा अत्यधिक तीक्ष्ण गर्म वस्तुयें प्रयोग करने से पित्त प्रकुपित हो उठता है और 'अम्ल रस' की अधिकता होने लगती है। इसे हाइपर एसीडिटी/ हार्टवर्न भी कहते हैं।

रोग के प्रमुख कारण acidity of stomach


यह बीमारी आमाशय (पाक स्थली) में एसिड

(अम्ल) की अधिकता के कारण होती है। सामान्य अवस्था में पाक स्थली के भीतर स्थित छोटी-छोटी ग्रन्थियों से निकलने वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन को पचाने में मदद करता है, किन्तु यही अम्ल जब आवश्यकता से अधिक मात्रा में बनने लगता है तो छाती की हड्डी के पीछे भोजन नली में

जलन की अनुभूति होती है। एसिड प्रायः

निम्न कारणों से अधिक बनती है 

  •  मानसिक चिन्ता एवं हर काम में जल्दबाजी। 
  •  खाने में अधिक मिर्च, अचार व गर्म मसाले।
  •  तला व अधिक मसालेदार भोजन पेट भर खाने के बाद रात को बिना टहले सो जाना।
  •  भोजन समय पर न लेना।
  •   अधिक शराब के सेवन एवं धूम्रपान ।
  •  ज्यादा तम्बाकू व चूने, कत्थे का पान खाना।
  •  क्रानिक (Chronic) इसोफेजाइटिस एवं हाइटस हर्निया ।


रोग के प्रमुख लक्षण acidity in stomach symptoms


छाती के बीचों-बीच जलन होती है। अर्थात् सीना जलने लगता है। आँखों में जलन होती है, माथे पर तपन मालूम होती है। हथेलियों और पैरों के तलवों में भी जलन होती है। पेशाब लाल, पीले रंग का होता है, मल त्याग के समय मल गर्म लगता है। इस प्रकार पित्त पूरे शरीर में दाह और जलन पैदा करता । अम्ल पित्त की प्रारम्भिक स्थिति में जलन के लक्षण कम दिखायी देते हैं। जब रोग बढ़ जाता है तब जलन के लक्षण अधिक दिखाई देने लगते हैं। रोगी को ऐसा निरन्तर अनुभव होता रहता है जैसे उसके शरीर में सूक्ष्म ज्वर हो, किन्तु ज्वर की दवा लेने से यह लक्षण दूर नहीं होता। यही नहीं थर्मामीटर से भी इस ज्वर का पता नहीं लगता है।


इस रोग में भूख कम हो जाती है। अशक्ति, थकान, पैरों में पीड़ा, चक्कर आना, आँखों के सामने अँधेरा छा जाना आदि तकलीफें होने लगती हैं। रोगी का मल ढीली स्थिति में रहता है। कुछ लोग कब्जियत की भी शिकायत करते हैं। अम्ल की अधिक मात्रा बढ़ जाने पर रोगी के शरीर पर छोटी-छोटी फुंसियाँ हो जाती हैं। उसे हल्की-सी खुजलाहट भी होती है। रोगी के जोड़ों में पीड़ा होती है, बेचैनी बनी रहती है, खाने की इच्छा नहीं होती है। मुँह का स्वाद बिगड़ा रहता है। नींद में कमी आ जाती है। रोगी को कई बार रक्तस्राव भी होते देखा जाता है।

यदि अम्लपित्त का प्रभाव लम्बे समय तक जारी रहे, तो रोगी को गर्मी का प्रभाव स्पष्ट मालूम होने लगता है। इससे बाल झड़ने या सफेद होने लगते हैं। रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा

और क्रोधी हो जाता है।


रोग की पहचान what is acidity reflux


छाती के बीचों-बीच में जलन, इपीगैस्ट्रिक स्थान पर जलन व दर्द रोगी अँगुली का इशारा कर बताता है। खट्टी डकारें, मुँह में खट्टा व कड़वा जल भर आना, गर्म पेय या तला हुआ भोजन लेते ही जलन का होना आदि लक्षणों के देने पर रोग को पहचानने में कोई कठिनाई नहीं होती है।


रोग का परिणाम


इस व्याधि के उपद्रव स्वरूप कभी-कभी त्वचा के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। सावधानी न बरतने पर आगे चलकर पेट में अल्सर हो जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में आमाशय में तीव्र पीड़ा होती रहती है। रोग के अधिक जीर्ण होने पर दस्त के साथ आँव और पित्त निकलने की शिकायतें आम होने लगती हैं।

चिकित्सा विधि

भोजन की ओर विशेष ध्यान दें। खट्टे-चटपटे, मिर्च-मसालेदार तेल, घी, चिकनाईयुक्त खाद्य पदार्थ तत्काल बंद करा दें। चाय, कॉफी, शराब (मद्य), माँस, तम्बाकू, आधुनिक मसालेदार पुड़िया आदि का पूर्ण निषेध |आँवला और अनार को छोड़कर कोई खट्टा फल खाने को न दें। नये रोग में प्रोटीनयुक्त भोजन दिया जा सकता है। 

पथ्य एवं सहायक चिकित्सा

इस रोग में मैदायुक्त भोजन, आलू, गरिष्ठ भोजन, अधिक मात्रा में शक्कर, मिठाई, मिर्च और खट्टी चीजें न दें। आलू का सेवन उपयुक्त नहीं है। सुबह अण्डा, दोपह को हल्का भोजन, दूध, तीसरे पहर मक्खन लगे टोस्ट और शाम को हल्का आहार दे खाने से पहले Hydrochloric acidil. और खाने के बाद सोडा बाई कार्ब गोली दें।

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नोट-सोडा बाई कार्ब को शहद में मिलाकर 4-4 घण्टे बाद चटाने से भी लाभ होता मैग कार्ब भी दिया जा सकता है।

आधुनिक उपचार


रोगी को शुरू से ही एन्टासिड (Antacids) दें। प्रत्येक 4 से 6 घण्टे में 3 चम्मच एन्टासिड लें। जैसे

1. म्यूकेन जैल (Mucaine gel) 

2. डाइजिन जैल (Digine gel) या डाइजिन टेबलेट।

3. पोलीक्रोल फोर्ट जैल (Polycrol forte gel) |

 इसको लेने से जलन व दर्द में आराम मिलता है। उल्टी की शिकायत होने पर

इन्जेक्शन द्वारा मेटोक्लोप्रामाइड दें। इन्जेक्शन पेरीनॉर्म (Perinorm) । एम्पुल माँसपेशीगत या आई० वी० अथवा मेटोक्लोप्रामाइड की गोली दें।

अम्लपित्त / खट्टी डकारें आना / आमाशय की अम्लता |

यदि रोगी को हाथ में इन्फैक्शन हो तो एण्टीबायोटिक औषधियाँ भी देनी चाहिये। * करोसिव पायजनिंग के लिये शुरू में ही एण्टीडोट दें। रोगी को प्रत्येक अवस्था में इन्जेक्शन के द्वारा H, रिसेप्टर (Antagonist) दे सकते हैं। जैसे- इन्जे० एसिलोक (Aciloc) 2 ml. माँसपेशीगत या आई० वी० या इन्जेक्शन रेनटेक (Rantac ) 2ml. माँसपेशीगत या आई० वी० ।


* यदि ज्यादा खाना खाने से या चिकनाईयुक्त भोजन से रोग हो तो ईनो (Eno) या पेपेज (Pepz) ले सकता है। इससे तुरन्त आराम मिलता है।



Tuesday, April 13

Stomatitis मुंह के अंदर छाले

 मुखपाक/मुंह के छाले/मुंह पकना/ stomatitis

इसमें रोगी के मुंह के अंदर जीव और गले की दीवारों पर वर्ण या छाले हो जाते हैं छालों में तीव्र वेदना होती है खाने पीने में काफी तकलीफ होने लगती है  तेज मिर्च मसालेदार पदार्थ खाना खाते ही रोगी  वेदना से बिलबिला जाता है तकलीफ होने लगती है और ठीक से बोल पाने में भी असमर्थ हो जाता है इस रोग से ग्रस्त रोगी को बेहद स्पष्ट होता है यह एक आम रोग हैं इसे मुखपाक ,मुंह के छाले,मुंह पकना और stomatitis भी कहते हैं 

Stomatitis
Stomatitis


रोग के प्रमुख कारण

  • कफवर्धक पदार्थों का अधिक सेवन करना
  • यदि मुंह की अच्छी तरह सफाई ना की जाए तो भी  समय बीतने पर मुंह के छाले पड़ जाने की पूरी संभावना होती है
  • जो लोग पान तंबाकू आदि  माउथ साफ ना रखने के कारण और पान तंबाकू का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं उनके मुंह में भी छाले पड़ जाते हैं
  • आधुनिक विज्ञान के अनुसार यदि आहार में विटामिन सी और विटामिन बी की कमी से होता है यह विटामिंस फलों और सब्जियों में भी पाए जाते हैं  जैसे यह विटामिंस  (vitamins)की कमी होने जाती है तो मुंह में छाले पड़ जाती हैं
  • संग्रहणी जैसे रोगों में भोजन के इन तत्वो का अभी शोषण करने की क्षमता की कमी हो जाने से भी मुंह में छाले पड़ जाते हैं
  • जो छोटे बच्चे चॉकलेट,चिंगम,बर्फ के गोले आदि अधिक मात्रा में खाते हैं उनके मुंह में कभी-कभी एलर्जी होने से भी मुंह में छाले पड़ जाते

रोग के प्रमुख लक्षण

  1. यदि मुंह में किसी प्रकार का स्वादा महसूस ना  होता हो मुंह काफी फीका बना रहता है  मुंह बार-बार सूखता हो या उस में कड़वाहट बनी रहती हो तो समझ लेना चाहिए कि पेट की पाचन क्रिया बिगड़ चुकी है
  2. यदि पेट में गर्मी बढ़ जाए अपच हो जाए अथवा इसमें पित्त एकत्रित हो जाए तो वह मुख पाक हो जाता है यानी मुंह में छाले पड़ जाते हैं तालू गलसुआ के अंदर यानी पूरे मुंह में जहां-जहां भी म्यूकस मेंब्रेन होती है वहां  छाले हो जाते हैं मुंह लिसा लिसा सा हो जाता है और उस में जलन होने लगती है मुंह में लालिमा लिए हुए छाले साफ दिखाई देते हैं भोजन करते समय यदि आहार इन छालो से रायगढ़ खा जाते हैं तो जलन होने लगती है गर्म आहार भी मुंह में नहीं रखा जा सकता दिनभर बेचैनी बनी रहती है और किसी काम में मन नहीं लगता है वेदना के कारण रोगी ठीक से बोल नहीं पाता है बोलने पर छालों मैं पीड़ा होती है रोगी के मसूड़ों में सूजन हो जाती है छाले हो जाने पर रोगी के मुख से दुर्गंध आने लगती है रोगी की सांस में दुर्गंध आती है तथा छालों का अंदरूनी हिस्सा लाल सुर्ख हो जाता है कुछ रोगियों के तालू में सूजन आ जाती है रोगी को कब्ज की शिकायत रहती है या दस्त लगे रहते हैं मल भी कठोर रहता है योगी बार-बार थूकता रहता है

  • छालों पर ग्लिसरीन या वोरो- ग्लिसरीन लगाने से लाभ होता है।
  • शहद मुख में लगाने से लाभ होता है पानी में शहद मिलाकर कुल्ले करने से आशातीत लाभ मिलता है।
  • नीम के पानी में शहद मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है। शहद और दही मिलाकर चटाने से भी फायदा होता है। कच्चे दूध में शहद मिलाकर गरारे करने से भी जल्दी लाभ होता है ।
  • विटामिन 'बी' कॉम्पलेक्स तथा विटामिन 'सी' प्रयोग करना हितकर होता है।

अनुभूत चिकित्सा


'गुडमैन्स' कम्पनी का 'गुडमैन्स मुँह के छालों की दवा' मुँह के हर प्रकार के छालों की उत्कृष्ट औषधि है। इस औषधि को दिन में 2 बार जीभ पर लगाकर लार टपकाना चाहिये। साथ ही चरक कम्पनी की मेनोल 2-2 टिकिया दिन में 2 बार दें। यदि रोगी को कब्ज की भी शिकायत रहती हो तो 'हरबोलेक्स' (हिमालय) की 3-3 टिकिया रात को सोते समय दें।

सामान्य पथ्यापथ्य एवं सहायक उपचार


1. आहार में दूध का उपयोग अधिक करें। दूध में चावल और शक्कर डाल कर पकाई हुई खीर रोगी के लिये आहार और औषधि दोनों का काम करती है । इसके लिये गाय या बकरी का दूध उत्तम होता है । डेरी का दूध, आइस्क्रीम का भी सेवन किया जा सकता है। आइस्क्रीम मुँह में शीतलता प्रदान करती है। यदि छोटे बच्चों का मुँह आ गया हो तो सीधे बकरी के थन से दूध की धार बच्चे के मुँह पर छोड़ने से आराम मिलता है। प्यास लगने पर ताजा और फीकी छाछ पीनी चाहिये। इसमें जीरा, धनियाँ-जीरा और नमक भी डाला जा सकता है। छाछ से शान्ति मिलती है। छाछ से सम्पूर्ण पाचनतंत्र में भी सुधार होता है। दिन में सुबह शाम 2 बार मामूली सा नमक और जीरा मिलाकर नीबू का शर्बत पियें। नीबू पेट की गड़बड़ी और मुँह के छालों को मिटाने में बहुत सहायता करता है। अनार का रस लिया जा सकता है। इससे मुँह के छाले के घावों को भरने में सहायता मिलती

चिकित्सा विधि


रोगी जब मुखपाक या मुख के छालों की शिकायत लेकर आता है तब उससे पूछताछ करने पर अक्सर रोगी पाचन विकार का शिकार मिलता है। कब्ज भी हो सकती है। 
1. सर्वप्रथम यदि कब्ज हो तो रोगी को एनीमा दें। ग्लिसरीन सपोजीटरी भी प्रयोग की जा सकती है। कब्ज के लिये रात को सोने से पूर्व रोगी को 4-6 चम्मच ईशबगोल दूध में घोलकर निगलने की सलाह दें।

2. रोगी को मुख साफ करने का निर्देश दें।
3.संक्रमण से बचाव की चिकित्सा के लिये संक्रमणनाशक लोशन से कुल्ले करने का निर्देश दें ।
4. रोगी को पर्याप्त विटामिन्स तथा मिनरल्स का प्रयोग कराना चाहिये ।

Thursday, March 25

5 Amezing Hyperacidity Home Remedies

 Hyperacidity: एसिड अपच से छुटकारा पाने के लिए 5 अतुल्य प्राकृतिक उपचार

Saturday, February 27

insulin kya hai

 

इंसुलिन क्या है और यह कैसे हमारे शरीर में काम करता है


इंसुलिन एक पेप्टाइड हार्मोन यानी कि डिलीवरी ब्वॉय जैसा काम करने वाला हार्मोन से है जो अग्नाशय के आइलेट के beta cells कोशिका द्वारा निर्मित होता है यह शरीर का मुख्य  digestive उपचय हार्मोन माना जाता है।  यह रक्त में ग्लूकोज के अवशोषण को जिगर वसा और bodystructureकंकाल यानी लीवर, नसों और हड्डियों की कोशिकाओं में ग्लूकोज के अवशोषण को पहुंचाने या बढ़ावा देकर कार्बोहाइड्रेट वसा और प्रोटीन के चयापचय को नियंत्रित करता है

इंसुलिन हमारे शरीर का एक हारमोंस है जिसका निर्माण पेनक्रियाज में होता है हमारे पेनक्रियाज बीटा सेल्स को निकालता है जो कार्बोहाइड्रेट को कन्वर्ट करके ब्लड शुगर बनाता है इंसुलिन के जरिए यह ब्लड शुगर ऊर्जा में तब्दील हो जाता है अगर पेनक्रिया  इंसुलिन बनाना बंद करते हैं तो ब्लड ग्लूकोस में कन्वर्ट नहीं होगा और डायबिटीज की बीमारी होती है इंसुलिन हमारे शरीर का मीन एनर्जी सोर्सेस हैइस के बिगड़ने से ही डायबिटीज की बीमारी होती है

 Insulin हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। इस के जरिए ही रक्त में कोशिकाओं को शुगर मिलती है यानी यह शरीर के अन्य भागों में blood sugar पहुंचाने का काम करता है। 

Bleeding in stool(मल में खूनआने)

Bleeding in stool(Rectum Bleeding with testing)

मल में खून आने के संकेत और लक्षण क्या है और जांचें

Bleeding in stool
Bleeding in stool


मल में खून आने के लक्षण क्या होते हैं

मल में खून आना कोई रोग नहीं है लेकिन रोग होने के संकेत मिलते हैं

लेकिन पेट के अंदर कोई समस्या यानी पाचन तंत्र में कोई समस्या उत्पन्न होती है उसके कारण मल में

ब्लड आने के संकेत मिलते हैं

जैसे

उल्टी होने के कारण पेट में इन्फेक्शन जैसे इसोफेगस  यह आंतों में छिद्ध होना या आंतों में इन्फेक्शन के कारण, पेट में अल्सर होने से खून आने लगता है गंभीर गैस्ट्राइटिस यानी के पेट की सूजन

गले से पेट तक चलने वाली नली के निचले हिस्से में पेट की नस

 जब रक्त में यकृत का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, तो आमतौर पर ओसोफैगल संस्करण विकसित होते हैं इसी को वर्सेस Varices कहा जाता है छोटी आंत में कैंसर या एप्सस होना

 नाक से खून बहना और वह खून किसी वजह से अंदर पेट में चले जाना उससे भी मल में खून आने की शिकायत मिलती है मल में खून आने के बहुत से कारण होते हैं

 अगर मल में खून गहरे रंग का और गाना आता है

मल के साथ लकीर जैसी खींचकर आने वाला लक्षण,मल से पहले बूंद सा टपकने वाला रक्त आना का लक्षण,मल के बाद बूंद  टपकने के लक्षण यह सब लक्षण बवासीर या फिशर में पाए जाते हैं लेकिन

मल में सामान्य कारणों से भी खून आता है जैसे गर्म चीजों का अधिक सेवन करना और अधिक स्वादिष्ट भोजन करना भी पेट में गर्मी होने के कारण भी मल में खून आने के संकेत मिलते हैं

यह खून हमारी छोटी आंत से आता है जो हमारे खाने को पचाने का काम करता है इस खून के अंदर छोटे-छोटे बैक्टीरिया होते हैं जो खाने को पचाते हैं जिसको हम जाइम बोलते हैं यह ब्लड कम होने के कारण लाइव बैक्टीरिया भी कम हो जाते हैं और पेट में बदहजमी रहती है और इसमें भूख कम लगती है खाना सही तरीके से पर्स नहीं पाता है

मल में ब्लड  आने के बाद मरीज में कुछ इस तरीके के लक्षण पाए जाते हैं जैसे

पेट भारी रहना,चेहरे पर काले धब्बे या पीलेपन की शिकायत, शरीर में थकान महसूस होना,ब्लड प्रेशर लो होना और दिल की धड़कन तेज होना इस तरीके की कंडीशन में यह रोग उत्पन्न हो सकता है जिसको

 (हृदयता-Tachycardia)

और इस तरीके के लक्षण दिखाई देते हैं तो समझना चाहिए की मल में अधिक ब्लड बह चुका है जिसको तुरंत डॉक्टर की सलाह और जांच करवानी चाहिए और इसमें कौन सी जांच करवानी चाहिए उसकी जानकारी हम आपको नीचे बताएंगे

मल में खून आने को कैसे रोकें या  कैसे रोकथाम करें

खूब ज्यादा पानी पीकर और ज्यादा फाइबर युक्त खाना खाकर मल में खून आने की प्रॉब्लम को कुछ हद तक कम करता है क्योंकि वाइबर और पानी मल को नरम और मुलायम करके बाहर निकालते हैं और इससे रेक्टम यानी के मलद्वार की नस को कोई नुकसान या क्षति नहीं होती है

आइए जानते हैं कुछ फाइबर युक्त पदार्थ जो खाने के लिए है

चुकंदर ,दलिया ,साबुत अनाज, चोकर

 इन फाइबर युक्त आहार का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें

अगर आप कोई दवा किसी बीमारी की ले रहे हैं तो अपने डॉ निर्देश द्वारा उसका पालन करें

 कुछ दवाओं का परहेज करना चाहिए जैसे नॉनस्टेरॉयडल इन्फ्लेमेटरी जैसी दवाओं का इस्तेमाल से बचना चाहिए क्योंकि यह दवाइयां पेट के अंदर परतों को नुकसान पहुंचा सकती हैं जिससे खून बहने की समस्या हो सकती है

मल काले रंग का आना कोई चिंता की बात नहीं यह सामान्य कारणों से भी आता है मल में गहरे काला रंग आना इसको मेडिकल भाषा में मेलेना के नाम से जाना जाता है जिसमें मल डार्क कलर का आता है

 जैसे अधिक चॉकलेट जैसी चीजों का सेवन करना या डार्क कलर की चीजों का सेवन करना इससे भी मल के रंग में बदलाव आता है और कुछ दवाइयों या आयरन सिरप की वजह से भी मल में बदलाव आता है

                जैसे

एनीमिया के शिकार होने की वजह से डॉ आयरन सिरप या आहार सप्लीमेंट लिखते हैं  तो उसकी वजह से भी मल का कलर डार्क आ सकता है इसके अलावा अगर आपको  मल में कुछ बदलाव सा दिखता हो या ब्लड के संकेत दिख रहे हो तो तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए

अब बात करते हैं बच्चों के मल में ब्लड आने के कारण

अगर बच्चों के मल में ब्लड की थोड़ी शिकायत मिल रही हो तो कोई गंभीर समस्या नहीं है क्योंकि बच्चों में भी कब्ज की शिकायत अक्सर देखने को मिलती है इस कारण से भी ब्लड आ सकता है और

प्रसव के दौरान कभी- कभी न्यू बोर्न बेबी की लैट्रिन में ब्लड आने का शिकायत मिलती है उसका कारण बच्चे के पेट में मां के पेट का ब्लड पहुंचने के कारण उसकी लैट्रिन में शुरू में एक या दो बार लैट्रिन में ब्लड आना कोई गंभीर बीमारी या घबरा ने  की बात नहीं  है कभी-कभी यह शिकायत देखने को मिलती उसका पेट साफ हो जाता है तो मल भी साफ आता है

Bleeding stool testing

मल में खून आने की जांच

इसमें पेट की नसों की m.r.i. पेट का एक्सरे पेट का सीटी स्कैन और मल की जांच होती है यह उपकरण और यह जांचे आपके आपके पाचन तंत्र से मल में खून आने के कारण को जानने में मदद करती हैंयह जांचे उन कारणों का पता लगाती हैं जिनकी वजह से खून बहने का कारण बनता है

पेट से संबंधित भागों की को जानने के लिए डॉक्टर कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy)करते हैं यह जांच बेहोश करके की जाती है क्योंकि एक तरीके का तार होता है जिसके सिर के ऊपर कैमरा फिट होता है और वह पेट के अंदर डाला जाता है यह एक लचीला तार होता है और पेट के अंदर के दृश्य को पूरा दर्शाता है

इसके अलावा आपको डॉक्टर जांच के लिए और भी एडवाइज कर सकता है जैसे कि यह जांच

Fecal occult blood test यह टेस्ट मॉल में खून की मौजूदगी और क्वांटिटी का पता लगाता है

एंजियोग्राफी कंप्लीट ब्लड काउंट complete blood count

यह ब्लड के अंदर छोटे-छोटे थक्कों का भी पता लगा लेता है जो तिल के आसपास या किसी भी नस में रुकावट हो

कोलोनोस्कोपी Colonoscopy

Stool culture

हेलीकोबेक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया के इंफेक्शन की मौजूदगी के लिए यह टेस्ट किया जाता है

कैप्सूल एंडोस्कोपी यह एक कैप्सूल होता है जिसमें एक कैमरा लगा होता है इस कैप्सूल को निकला जाता है यह पेट में जाकर छोटी आंत के अंदर जाकर पूरा  कार्य रिकॉर्ड करता है और एक एक जांच करता है

Enteroscopy यह एक गुब्बारे जैसी टेक्निकल जांच है जो छोटी आंत के अंदर जाकर कैमरे से जांच करती है

KFT

LFT

Stool for occult blood

Stool for OVA and cyst

Bavasir ki jaanch ke liye short Scorpio karva de

बवासीर की जांच के लिए शॉर्ट स्कोपी करवानी है


Monday, February 8

Abdominal pain with back Ach

 अक्सर लोगों के पेट दर्द होने की शिकायत रहती है और महिलाओं को  पेट दर्द और कमर दर्द की भी शिकायत रहती है 

Abdominal pain
Abdominal pain


तो आइए जानते हैं इसके कुछ कारण और लक्षण

पेट दर्द के कई कारण होते हैं

 जैसे की

 कब्ज की शिकायत होना,

 ज्यादा मसालेदार भोजन खाना

  जिस के कारण पेट में गैस बनने लगती है और पेट दर्द करता है 

  वायु उत्पन्न करने वाले पदार्थ का सेवन अधिक मात्रा में करने से पेट में दर्द होता है कैसे सब्जियों में मटर,  सेम की फली, चना आदि

  अधिक भोजन करना  भी पेट दर्द का कारण होता है

  ठंडी और बासी चीजों का सेवन करना

  आंतों में अल्सर होने के कारण भी पेट दर्द होता है

 आतें (intestinal) या पेट के म्यूकस पर वरम होने से पेट दर्द बना रहता है

पित्ताशय में इन्फेक्शन होना भी पेट दर्द होता है 

पित्त वाहिनी में सूजन होने भी पेट दर्द होता है

डायबिटीज के मरीज की शुगर बढ़ने के कारण भी पेट में दर्द कभी-कभी होता है

पेट में कीड़े होने के कारण भी पेट दर्द होता है और यह अक्सर बच्चों में ज्यादा देखा गया है

Gastritis इस इनफेक्शन विद पेट दर्द होता है

आइए  कमर दर्द का कारण जानते हैं


महिलाओं में मासिक धर्म के समय अक्सर पेट दर्द और कमर दर्द होता है

मांसपेशियों में  तनाव या जकड़न के कारण से कमर दर्द होता है

पित्त में पथरी होने के कारण पेट और कमर दर्द दोनों ही जगह होते हैं

Saturday, January 30

Neopeptine Drop

 

Neopeptine Drop
Neopeptine Drop



भोजन करने के बाद बच्चों को कब्ज, गैस, के उपयोग करने से पेट में दर्द से राहत मिलती है। इस दवा में कई प्रकार के एंजाइम शामिल हैं जो बच्चों के पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है  किसी बच्चे को नाक बहने की समस्या हो तो इस दवा का प्रयोग किया जाता है

अगर किसी बच्चे को पेट की समस्या हो तो किस दवा का उपयोग करते हैं

किसी बच्चे को अपच की शिकायत हो और पेट भारी भारी रहता हूं

जो वास्तव में शिशु के पेट को हल्का करता है और पेट की बदहजमी को खत्म करता है आज भूख ना लगने के  मामलों में, शिशुओं को यह दवा दी जाती है।

कब्ज, गैस,भूख ना लगने

बदहजमी,पेट में दर्द

अपच की शिकायत सबसे बेहतर काम करता है


Dose

  Neopeptine  0.5 ml मे 12 बूँदें एक दिन में होती हैं।

इस दवा का प्रयोग 5 महीने से ऊपर के बच्चों को देना

इस दवा को भोजन के बाद और सोने के वक्त दिया जाना चाहिए



Side effect

पेट में ऐठन बढ़ बढ़ना 

शरीर पर चकत्ते की शिकायत 

शरीर में एलर्जी होना, दोस्तों की शिकायत होना, बच्चों को बार बार डकार आना, skin irritation


CI

बच्चों को किसी तरह की एलर्जी या कोई बीमारी हो तो इस दवा का प्रयोग ना करें बिना डॉक्टर की सलाह के


https://youtu.be/xN9S90KoCC8

Thursday, October 29

Dyspepsia बदहजमी

Dyspepsia बदहजमी
Dyspepsia बदहजमी

यदि  खाई चीज अच्छी तरह ना पचे यह हजम ना हो तो उसे    ‌‌‌‌‌‌‌‌‌

Dyspepsia या इनडाइजेशन कहते हैं पाचन संस्था में होने वाली तमाम लोगों में यह मुख्य तौर पर होता देखा गया है आजकल इस रोग से अधिक लोग पीड़ित है 

   डिस्पेप्सिया के मुख्य लक्षण

इस रोग से पीड़ित लोगों को भूख नहीं लगती सदा बेचैन से रहते हैं उसे बार-बार खट्टी डकार आती रहती है मुंह में पानी भर आता है रोगी को अक्सर छाती में जलन सा महसूस करता है सर में भारीपन की शिकायत रहती है उसका जीवन मिचलाता रहता है रोगी को कभी-कभी चक्कर भी आते हैं रोगी का पेट फूल जाना पेट में दर्द रहना आम शिकायत रहती है और कब्ज की शिकायत रहती है

 रोग के प्रमुख कारण

समय-समय पर बहुत ज्यादा घनिष्ठ भोजन करना

भोजन को बिना चबाए निकलना

भोजन के समय बहुत सा पानी पीना तंबाकू शराब सिगरेट चाय का सेवन मानसिक तनाव में रहना या बहुत शारीरिक व्यायाम करना

रोग का परिणाम

रोग पुराना होने पर पेट में गैस बनने लगती है स्नायु  दुर्लभता हो जाती है सिर भारी भारी बना रहता है और रोगी को चक्कर आने लगते हैं

     

डिस्पेप्सिया indignation रोग में उपवास हितकारी होता है सप्ताह में कम से कम एक बार उपवास करना ही चाहिए इनडाइजेशन के रोगी को खाना खाने के उपरांत पुदीने की चटनी लाभकारी होती है । सिरके की चटनी तथा अदरक का मुरब्बा विशेष लाभदायक होता है इससे भूक खुलती है और बदहजमी दूर होती है कच्चे नारियल का पानी कच्ची गिरी तथा कच्चे पपीते की सब्जी लाभकारी होती है भोजन के साथ सेंधा नमक अदरक के साथ मिलाकर अच्छा रहता है यदि पाचन शक्ति को सही करना हो तो हरड़, सोंठ, गुर को बराबर बराबर लेकर 1/2 चम्मच भोजन के पूर्व सादे पानी से प्रयोग करना चाहिए

 

यदि रोगी भोजन के पश्चात तुरंत पेट फूल जाने की शिकायत करें उल्टी हो मुंह से हरा नीला पीला पानी आने लगे तबीयत  गिरी गिरी रहे तो चिकित्सक से सलाह लें 
इस रोग में प्रमुख कारणों की चिकित्सा digestive stimulent and carminative औषधियों का प्रयोग करना चाहिए

आजकल aristozyme, bestozyme, lupizyme, unienzyme, digiplex , Neopeptin आदि ऐसी ही औषधियां बाजार में उपलब्ध है जिनका उपयोग इनडाइजेशन में किया जा सकता है

Saturday, September 28

Gastritis पेट की सूजन

Stomach related Disorders

Crohn's Complications

Gastritis Directory

Gastritis is an aggravation, disturbance, or disintegration of the coating of the stomach that can be brought about by bothering because of over the top liquor use, constant heaving, stress, or the utilization of specific medicine,
Gastritis पेट की सूजन

for example 

headache medicine or other calming drugs. It might likewise be brought about by Helicobacter pylori (H. pylori), a bacterium that lives in the mucous coating of the stomach pin and  prompt ulcers and even stomach malignancy; noxious pallor; and bile reflux. The most widely recognized side effects of gastritis incorporate sickness or repetitive resentful stomach, stomach swelling and agony, spewing, a consuming inclination in the stomach, and dark or ridiculous stools. Conclusion of gastritis may incorporate an upper endoscopy and blood tests. Treatment may incorporate anti-microbials, acid neutralizers, and nutrient B12 shots for the iron deficiency.

Chronic gastritis

Your stomach covering, or mucosa, has organs that produce stomach corrosive and other significant mixes. One model is the compound pepsin. While your stomach corrosive separates nourishment and shields you from contamination, pepsin separates protein. The corrosive in your stomach is sufficiently able to harm your stomach. Along these lines, your stomach coating secretes bodily fluid to secure itself. 

Incessant gastritis happens when your stomach covering ends up aggravated. Microorganisms, devouring a lot of liquor, certain meds, interminable pressure, or other insusceptible framework issues can prompt irritation. At the point when aggravation happens, your stomach coating changes and loses a portion of its defensive cells. It might likewise cause early satiety. This is the place your stomach feels full subsequent to eating only a couple of chomps of nourishment. 

Since interminable gastritis happens over an extensive stretch of time it steadily erodes at your stomach lining. What's more, it can cause metaplasia or dysplasia. These are precancerous changes in your cells that can prompt malignant growth if untreated. 

Interminable gastritis generally shows signs of improvement with treatment, yet may require continuous checking.

Tuesday, September 24

intestinal colic पेट दर्द

 intestinal colic पेट-दर्द
 के कारण ,लक्षण,उपचार
       
 पेट का दर्द abdominal pain गैस्ट्राल्जिया (gastralgia) इसे सामान्य बोलचाल में पेट दर्द भी कहते हैंabdominal pain in hindi
आंतों के भीतर सायविक ढंग का(शूल के दर्द की तरह) समय-समय पर एक तरह का तीव्र दर्द होता है उसे कॉलिंक  या(Enteralgia) आंत्रशूल कहते हैं
इससे आंतो मैं किसी तरह का यांत्रिक परिवर्तन नहीं होता है  intestinal-colic-पेट-दर्द
छोटी आंतों में रुकावट या किसी अन्य कारण से होने वाले पेट दर्द को intestinal colic कहते हैं
Intestinal colic may be defined as abdominal pain due to intestinal absorption or any other pathology in the intestine
                   


(Spasmodic)स्पसमोडिक पीड़ा को शूल (colic) कहते हैं इसमें पेट के भीतर चुभन करने जैसा दर्द होता है जो अत्यंत भयानक होता है इसके कास्ट से रोगी व्याकुल हो जाता है कभी-कभी रोगी को सांस तक लेने में तकलीफ होती है रोगी तकलीफ से छटपटाता है दर्द की ऐठन, खोछा मारने, मरोड़ या अकड़न की तरहा होता है। पहले नाभि के चारों तरफ या पेट के दोनों बगल से दर्द आरंभ होकर चारों ओर फैल जाता है दर्द की धमक से रोगी बहुत बेचैन हो जाता है इसी को abdominal pain कहते हैं
intestinal-colic-पेट-दर्द

रोग के प्रमुख कारण

१.पाचन शक्ति से अधिक भोजन करने से।
२.देर से पचने वाले भोजन से।
३.मिठाइयों को अधिक लेने से।
४.आंतों के भीतर आजीण- खाध इकट्ठा होता या          सड़ता रहे।
५.कब्जियत या किसी दूसरी वजह से वायु के               एकत्रित होने से।
६.आंतों के अंदर कीड़े होने से या कोई अन्य बाहरी        वस्तु के उपस्थित रहने से।
७.तीव्र दस्तावर औषधि का सेवन से।
८.पेट में या पैरों में सर्दी लगने से।
९.मोटी रोटी कुछ ज्यादा दिनों तक खाने से।
१०.खराब पदार्थ या जहरीले पदार्थ खाने से भी।
११.चाय,कॉफी,आइसक्रीम,बर्फीले शरबत अधिक            लेने से।

दर्द की विशेषताएं

यह का एक प्रारंभ होता है और कभी-कभी वैसे ही एक-एक शांत भी हो जाता है
पीड़ा ऐठन युक्त होता है भोजन के बाद आमाशय में नक खरोच डालने जैसी पीड़ा होती है।
उदर को दबाने पर पीड़ा कुछ समय मालूम पड़ती है इसलिए रोगी दोनों टांग कोमोड़े खड़ा रहता है परंतु शीघ्र ही चार्ज का परिवेश उस विचलित कर देता है और योगी दर्द के कारण तड़पने लगता है।
पेट का दर्द कई प्रकार का होता है

1. Intestinal colic
2. Appendicular colic
3. Biliary colic
4. Renal colic
5. Uterine colic


पूर्व में colic के जो रूप बताए गए हैं यह सभी अकस्मात तेज दर्द के रूप में प्रकट होते हैं यह इस बात का सूचक है कि रोगी के पेट में जो पीड़ा हो रही है वह इस कारण से है कि उसके पेट में कोई उत्पन्न गंभीर दशा उपस्थित हो रही है जिससे रोगी का जीवन कष्ट में होता जाता है और उसका तत्काल उपचार आवश्यक है. intestinal-colic-पेट-दर्द

  Emergency treatment

Injection diclofenac sodium या fortwin

और  injection Ranitidine hydrochloride


Baby treatment

Spasmodic drop, Colimex drop,
या Baralgan drop इनमें से कोई एक दे सकते हैं और जांच कराने के बाद मुकम्मल इलाज डॉक्टर से करवाना चाहिए
       
                 

Sunday, August 11

Bavasir बवासीर का इलाज

बवासीर के मस्सों को जड़ से खत्मर बवासीर का सफल इलाज 

कारण

रोक के मुख्य लक्षण

बादी बवासीर

खूनी बवासीर

             
आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसको हेमरॉयडल भी
 कहा जाता है सामान्य बोलचाल में इसको पाइल्स 
के नाम से जाना जाता है पाइल्स
इस रोग में गुदा द्वार पर एक प्रकार के मस्से से फूल
 जाते हैं मलद्वार की नसे फूल जाने से वहां की त्वचा 
सख्त हो जाती है तथा पीड़ा की टीसें उठती हैं और 
कुछ केसिस में नहीं उठती अंगूर की भांति एक दूसरे 
से जुड़े हुए मस्सों के गुच्छे से उभर आते हैं 
 इन गुच्छों से रक्त बहने लगता है 
कुछ रोगियों को रक्त नहीं बहता है रोगी को
 अति तीव्र वेदना होती है रोगी का उठना बैठना
 चलना फिरना दूभर हो जाता है मलद्वार के अंदर
 तथा बाहर की नसों में तीव्र सूजन हो जाने 
 अथवा नसों के फूल जाने से रोगी को अत्यधिक
 कष्ट होता है।
बवासीर का इलाज


               कारण

आयुर्वेद के अनुसार बवासीर का मुख्य कारण
अग्नि मंद और कब्जियत है अग्नि मंद और
 कब्जियत का पारंपरिक संबंध है बासी खाना,
गरिष्ठ अत्यधिक मेदे वाला खाना,अतिशय 
चिकनाई युक्त वाला खाना,अंडा और मास,
 मिलावटी आहार ग्रहण करने से पेट की कार्यशीलता 
मंद पड़ जाती है
सूखी हुई सब्जियां व कच्ची सब्जियां तथा चिकनाई
 युक्त आहार बांसी मास इसके खाने से भी बवासीर
 उत्पन्न होती है
 शराब,रायता,चटनी,गरम मसाले आदि के 
अत्यधिक उपयोग करने से भी बवासीर होने की 
संभावना बढ़ जाती है
यह एक वंशानुगत बीमारी भी है जिन लोगों के 
पूर्वजों को लंबे समय तक बवासीर की बीमारी रही
 हो उनके वंशजों को भी यह रोग विरासत में मिल जाता है
 दूध के साथ प्याज,लहसुन,नमक,मांस,मछली
 आदि नहीं खाना चाहिए अन्यथा बवासीर हो 
जाने की पूरी संभावना होती है
जिन महिलाओं को अधिक प्रस्तुतियां होती हैं 
उन्हें भी बवासीर की शिकायत होती है
इसके अतिरिक्त अत्यधिक मैथुन करना भी इसका एक कारण होता है
 आहार-विहार की गड़बड़ी मदिरापान प्रोस्टेट ग्रंथि
 की वृद्धि मूत्र संबंधी रोग एवं विकार मूत्राशय में
 पथरी की शिकायत अत्यधिक चाय कॉफी 
का उपयोग आदि कारणों से भी बवासीर की
 उत्पत्ति होती है
              

              रोक के मुख्य लक्षण

 सामान्य रूप से बवासीर दो प्रकार की होती है
बादी बवासीर 
 खूनी बवासीर
         

              बादी बवासीर

 मस्से गोदा के अंदर रहते हैं पर उनसे रक्त नहीं
 गिरता पर पीड़ा और तनाव आवश्यक रहता है
 रोगी के मस्सों में जलन होती है मल कड़ा उतरने 
से मस्से छिल जाते हैं जब रोगी को मस्सों में पीड़ा 
के साथ तीव्र जलन व खुजली होती है
 रोगी का हाथ जाने अनजाने बार-बार गुदा
 में खुजलाने के लिए उठता रहता है।


            खूनी बवासीर 


         
 रोगी को इस प्रकार की बवासीर में बेहद मानसिक 
कष्ट रहता है उसकी गुदा से कभी कभी रक्त गिरने
 लगता है जिससे रोगी के कपड़े तक खराब हो
 जाते हैं 
बवासीर की जानकारी निम्नलिखित लक्षणों से
 हो सकती है 
बवासीर का रोग सीधा तंन कर बैठ नहीं सकता
 यदि बवासीर अधिक फैल जाए तो रोगी तंन कर
 चल भी नहीं सकता मलद्वार में बार बार 
दर्द होता है कभी-कभी दर्द के साथ जलन 
भी होती है 
बवासीर का रोगी अच्छी तरह मल त्याग नहीं
 कर पाता अपान वायु ठीक से निष्कासित नहीं
 होती रोगी के पैरों में पीड़ा होती है 
तथा चेहरा फीका पड़ जाता है
 मल त्याग के समय बवासीर पर घर्षण होने से 
उस भाग में पीड़ा होती है यदि मल सख्त है 
तो बवासीर के घर्षण होने से रक्त टपकने लगता है 
कमजोर एव थकान महसूस करता है   

कब्ज (constipation) होने पर आपको मल (stools) करते वक़्त ज़ोर लगाना पड़ता है, जिसकी वजह से गुदा में दबाव पड़ता है| लम्बे समय तक कब्ज होने पर वहाँ बवासीर बन सकतें हैं

 कब्ज इस रोक की प्रमुख जड़ है
कड़ा मल जब आंतों में सूख जाता है तब मल 
कठिनाई से उतरता है कड़ा मल उतरने से गुदा
 में घाव,दरारें अथवा गोदा का छिल जाना
 लक्षण होते हैं 
कुर्सी किसी आसन गद्दी तकिया के सहारे घंटों 
तक बैठे रहने से भी इस रोग की संभावना रहती है 


                याद रहे

बवासीर से ग्रस्त रोगी के सख्त मल पर अर्श से
 निकलने वाला रक्त उनका लंबा दाग देखा जा सकता है

         चिकित्सा विधि 


रोगी के मूल कारणों को दूर करें

 कब्ज कभी ना रहने दे 
मनपसंद हल्का-फुल्का व्यायाम प्रातः शाम कराएं
 शोथावस्था में पूर्ण विश्राम दें 
बादी बवासीर के लिए ऑपरेशन की आवश्यकता 
नहीं शोथयुक्त बादी बवासीर में हेडन मरहम लगाएं
खूनी बवासीर का असली इलाज ऑपरेशन था 
लेकिन अब हमारे पास इसका गारंटी का इलाज है
किसी भी प्रकार के अर्श मैं कब्ज ना रहने दें


            खाने में 


अर्श के रोगी को मूंग की दाल,चावल 
नरम चपाती खस्ता,मोयन वाली रोटी 
मूंग की दाल,मिश्रित खिचड़ी 
लोकी ,परवल ,करेला, फूलगोभी,पत्ता गोभी 
तोरई,नरम बैंगन,प्याज ताजी सब्जी और
 फल फ्रूट आदि का सेवन किया जा सकता है
 आर्श के रोग में दूध मक्खन ,छाछ ,आंवला और 
अंगूर बहुत लाभदायक है अर्श के रोगी को
 साइकिल की सवारी कम करके पैदल चलने 
की आदत डालनी चाहिए खड़े बाल नहीं 
बैठना चाहिए और मल त्याग करते समय
जोर नहीं लगाना चाहिए अर्श की अवस्था
 में खुल कर मल त्याग हो इसके लिए
 जुलाब कराने वाली औषधि देनी चाहिए
 इसके लिए ईसबगोल की भूसी या त्रिफला
 बहुत ही उपयोगी है खूनी बवासीर में 
इसबगोल छाछ के साथ लेने से बहुत
 आराम मिलता है   
बादाम के तेल और कार्बोलिक एसिड से तैयार किया हुआ इंजेक्शन जो बवासीर के मस्सों में लगाकर उन मस्सों को सिखाने का काम करता है
बवासीर में कोई भी गर्म चीज का खाने में उपयोग नहीं करना चाहिए यहां तक कि देसी घी का भी ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए यह भी गर्मी पैदा करता है

अगर आप किसी बीमारी से ग्रस्त है और दवा चल रही है पहले अपने नजदीकी दवाखाना या हॉस्पिटल के डॉक्टर से सलाह लें उसके बाद ले सकते हैं

   बवासीर में सेवन कराने योग्य औषधि  


Tab pilex 2tab×tds
 आवश्यकता अनुसार लगातार एक हफ्ते
 तक प्रयोग करें    
Tab Herbolax   
यदि अर्श का कारण कब्ज है
तो कब्ज दूर करने के लिए दो टकिया
 रात को सोते समय ले सकते हैं


    Homeopethi treatment


Silicea 4tab×BD
Acsculus mT 20drop×BD
Thuja 1m. 2drop in morning OD weakly
Pionia mT 
Tuberculinum200
Hemameles mT 




बवासीर का हमारे पास सफल इलाज है बिना ऑपरेशन के जड़ से खत्म हो जाएगी अगर आपको दवा चाहिए तो ऑनलाइन आपके पास पहुंच सकती है आप हमसे नीचे ईमेल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं

Tuesday, July 30

Anorexia भूख की कमी

    Anorexia भूख की कमी दोस्तों आज हम आपको खाना ना खाने के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिसको अंग्रेजी में एनोरेक्सिया (Anorexia)कहते हैं सामान्य बोलचाल में खाना ना खाना या रुचि ना होना इसी को एनोरेक्सिया कहते है 
Anorexia भूख की कमी
Anorexia भूख की कमी 


भूख लगी हो और भोजन भी स्वादिष्ट हो फिर भी भोजन खाने की इच्छा ना हो और गले से नीचे ना उतरे तो इसे आरुचि (anorexia)की ही संज्ञा दी जाती है
ज्यादातर मरीजों में कब्ज की शिकायत होती है यह चिकनाई युक्त एव कम रेशेदार भोजन के खाने से होती है
खने के साथ-साथ​ कम मात्रा में पानी पीने से तथा शारीरिक कसरत (व्यायाम) के आभाव में आंतों की कार्यशीलता धीमी हो जाती है


                  शारीरिक कारण


बुखार कब्ज निमोनिया चेचक खसरा मलेरिया आदि इनफेक्शन जैसे बुखार मैं होती है
TB जैसे लोगों में भी (आरुचि )भूख की कमी हो जाती है
कुछ मरीजों में लंबे समय तक बिस्तर पर रहना होता है जैसे हार्ट अटैक,कूल्हे की हड्डी का हट जाना आदि  इन समस्याओं में भी एनोरेक्सिया जैसी समस्या हो जाती है
हिस्टीरिया,अनिद्रा तथा अन्य मानसिक स्थितियो में भी भूख लगना बंद हो जाती है
अधिक चिंता एव तनाव से भी भूख लगना अक्सर कम हो जाती है 
लीवर का कमजोर होना या इन्फेक्शन होना व फैटी लीवर होना इन कारणों से भी एनोरेक्सिया जैसी समस्या हो जाती है
कब्जियत की समस्या होने के कारण भी आरूचि होती है
vitamins B complex की कमी से भी भूख ना लगने के कारण भी यह शिकायत मिलती है
अधिक पौष्टिक आहार लेने तथा सारे दिन काम ना करने से भी (आरूचि)भूख कम हो जाती है
       
                रोग की पहचान

खाना ना खाना खाने के प्रति इच्छा ना होना लीवर में कमी (मलवरोध)कब्जियत जैसी समस्या होना व बेचैनी  आदि लक्षणों से इसे आसानी से पहचाना जा सकता है

           रोग के परिणाम
रोग के अधिक समय तक चलते रहने और उचित चिकित्सा ना करने से शरीर की रक्त रस मास आदि धातुएं सूखने लगती है और शरीर मैं  अधिक गिरावट​ आ जाता है 

              



   
                चिकित्सा विधि
रोगी के मूल कारणों को दूर करें
तत्पश्चात दीपन चापन औषधियों की व्यवस्था करें
भय,चिंता शोक आदि का निराकरण आवश्यक
मानसिक कारणों की उपस्थिति में पेशेंट को सेडक्टिव औषधि का प्रयोग

                     याद रखिए

एनोरेक्सिया में रोगी के शरीर में रक्त की कमी हो जाती है ऐसे रोगी हो दीपन चापन औषधियों के साथ-साथ लिवर एक्सट्रैक्ट का प्रयोग आवश्यक करें
   * अगर मसूड़े या दांतो से रक्त आता है तो उसकी व्यवस्था करें
*हफ्ते में एक बार उपवास रखने से भी बहुत फायदा होता है और हमारी पेट की समस्या दूर होती है
खाने के लिए रोगी को मनपसंद चीज देनी चाहिए जैसे लोहा युक्त आहार ,चटनी ,रायता ,अचार गेहूं चावल मूंग की दाल पतली मूली बैंगन अकेला पपीता अंगूर ,आम ,घी, दही ,दूध, मटठा काला नमक आदि
कब्जियत की समस्या हो रही हो तो एक बार castor oi दूध में मिलाकर रात को सोते समय पिला दे इससे मल आसानी से निकल आएगा 

                  घरेलू नुक्सा

काला नमक, सांभर नमक 10-10 ग्राम भुनी हींग 3 ग्राम इनको मिलाकर बारीक पीस लें और 700 ml पानी में मिलाकर शीशी में भरकर रख ले सुबह शाम 2-3 चम्मच प्रयोग करें इससे एनोरेक्सिया (anorexia) की शिकायत दूर होगी और भूख लगने लगेगी ।

Wednesday, June 19

Constipation


     Constipation (कब्ज)

कब्ज में व्यक्ति 2 से 3 दिन तक मल विसर्जन के लिए नहीं जाता है मल विसर्जन के लिए जाने पर मल कम मात्रा में सख्त व सुख आता है इसमें शौच साफ  ना होने के कारण रोगी को पता लगता है कि उसका पेट साफ नहीं हुआ है इसे मल बंद,आंतों की खुश्की व कब्जियत आदि के नाम से जााना जात है           
Constipation,https://youtu.be/4jvKLnJlhfw
Constipation
                   
     
                         कारण
मुख्य रूप से आंतों की गति कम होने से कब्ज की स्थिति उत्पन्न होती है और यह मसालेदार खाना खाने से चिकनाई युक्त भोजन से फास्ट फूड खाने से परिश्रम ना करने से नशे की दवाइयां खाने से ज्यादा एंटासिड दवाइयां खाने से लोहा युक्त भोजन ज्यादा करने से अफीम का अधिक सेवन करने से रात्रि जागरण से विटामिन बी की कमी होने से और गर्भावस्था में भी हो जाता है


                   परिणाम 


Constipation से रोगी के सर दर्द,शारीरिक सुस्ती,चिड़चिड़ापन व बवासीर जैसी समस्याएं हो सकती हैं 
                    

 इलाज (treatment)


को सोते समय तांबे के बर्तन में पानी भर कर उसमे 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण डालकर ढक दें सुबह शौच करने से 1 घंटे पहले सुबह खाली पेट छानकर पिएं कुछ दिन के प्रयोग से कब्ज रोग जड़ से खत्म हो जाएगा
एगरोल 2 चम्मच आधा कप ताजा पानी में मिलाकर तीन चार दिन पियें पुरानी कब्जियत ठीक हो जाएगी और एगरोल केमिस्ट की दुकान पर मिल जाएगा
कब्ज की अधिकता के कारण यदि बुखार में दस्त कराना हो तो 10 ग्राम अरंडी के तेल में 250 ग्राम गर्म दूध में मिलाकर पिला दें
गुठली निकाली हुई बड़ी हरड़ का मुरब्बा एक या दो नग खिलाकर ऊपर से 250 ग्राम दूध पिला देने से 3-4 दस्त हो जाते हैं नाजुक मिजाज रोगी को एक हरड़ से ज्यादा नहीं देना चाहिए
गंभीर कब्ज़ : इस स्थिति में मल बिल्कुल भी नहीं निकलता है 
साधारण कब्ज की स्थिति में रात को सोते समय 10 12 मुनक्के ले और उनके बीज निकालकर दूध मैं उबालकर खाएं और ऊपर से वही दूध पीले इससे सुबह खुलकर शौच आएगा कब्ज की अधिक शिकायत होने पर इसे 3 दिन लगातार ले लीजिए ।पुराना बिगड़ा हुआ कब्ज हो तो संतरे का रस सुबह खाली पेट आठ-दस दिन पीने से कब ठीक हो जाएगा संतरे के रस में नमक,बर्फ या मसाला अधिक मिला हुआ नहीं होना चाहिए
पीली काबली हरड़ को रात में भिगो दें और हरड़ को सुबह पानी में थोड़ा सा रेगडे़ं और थोड़ा सा नमक मिलाकर पिला दे इससे कब्ज चाहे जितनी पुरानी हो वह दूर हो जाएगी एक हरड़ 4-5 दिन तक काम करती है
10 ग्राम ईसबगोल की भूसी 125 ग्राम दही में घोलकर सुबह -शाम खिलाने से कब्ज ठीक होता है
रात में 6 ग्राम त्रिफला पुणे 200 ग्राम गर्म दूध में लेने से कब्ज की शिकायत दूर होती है


Syr Liv-52 दो बार Tab-Harbulex 2×Hsमल विसर्जन के लिए 24 से​ 48 घंटे में नियमित रूप से एक बार होना चाहिए


   

Sunday, June 2

Jaundice पीलिया

 पीलिया क्या है और क्यों होता है पीलिया में अक्सर बुखार आता है और र्रोगी कमजोर हो जाता है
Symptoms- इसमें बुखार रहता है एव आंखों नाखून, मूत्र और त्वचा का रंग पीलापन मे दिखाई देता है
           


कारण-पित्ता अच्छी तरहा अवशोषित नहीं होता है और वह आंतों में जाने की बजय खून में मिलकर उनके रंग को बदल देता है और RBC की मात्रा को नष्ट कर देता है इसी को पीलिया कहते हैं
Investigation-Blood testing (BiliRubin)& urine test
खाने में -iron wali sabji gajar,Mauli, Chukandar, Tamatar
YouTube https://www.youtube.com/channel/UCNh2lPvMAdePA3JxuWVjfMA