मुखपाक/मुंह के छाले/मुंह पकना/ stomatitis
इसमें रोगी के मुंह के अंदर जीव और गले की दीवारों पर वर्ण या छाले हो जाते हैं छालों में तीव्र वेदना होती है खाने पीने में काफी तकलीफ होने लगती है तेज मिर्च मसालेदार पदार्थ खाना खाते ही रोगी वेदना से बिलबिला जाता है तकलीफ होने लगती है और ठीक से बोल पाने में भी असमर्थ हो जाता है इस रोग से ग्रस्त रोगी को बेहद स्पष्ट होता है यह एक आम रोग हैं इसे मुखपाक ,मुंह के छाले,मुंह पकना और stomatitis भी कहते हैं
Stomatitis |
रोग के प्रमुख कारण
- कफवर्धक पदार्थों का अधिक सेवन करना
- यदि मुंह की अच्छी तरह सफाई ना की जाए तो भी समय बीतने पर मुंह के छाले पड़ जाने की पूरी संभावना होती है
- जो लोग पान तंबाकू आदि माउथ साफ ना रखने के कारण और पान तंबाकू का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं उनके मुंह में भी छाले पड़ जाते हैं
- आधुनिक विज्ञान के अनुसार यदि आहार में विटामिन सी और विटामिन बी की कमी से होता है यह विटामिंस फलों और सब्जियों में भी पाए जाते हैं जैसे यह विटामिंस (vitamins)की कमी होने जाती है तो मुंह में छाले पड़ जाती हैं
- संग्रहणी जैसे रोगों में भोजन के इन तत्वो का अभी शोषण करने की क्षमता की कमी हो जाने से भी मुंह में छाले पड़ जाते हैं
- जो छोटे बच्चे चॉकलेट,चिंगम,बर्फ के गोले आदि अधिक मात्रा में खाते हैं उनके मुंह में कभी-कभी एलर्जी होने से भी मुंह में छाले पड़ जाते
रोग के प्रमुख लक्षण
- यदि मुंह में किसी प्रकार का स्वादा महसूस ना होता हो मुंह काफी फीका बना रहता है मुंह बार-बार सूखता हो या उस में कड़वाहट बनी रहती हो तो समझ लेना चाहिए कि पेट की पाचन क्रिया बिगड़ चुकी है
- यदि पेट में गर्मी बढ़ जाए अपच हो जाए अथवा इसमें पित्त एकत्रित हो जाए तो वह मुख पाक हो जाता है यानी मुंह में छाले पड़ जाते हैं तालू गलसुआ के अंदर यानी पूरे मुंह में जहां-जहां भी म्यूकस मेंब्रेन होती है वहां छाले हो जाते हैं मुंह लिसा लिसा सा हो जाता है और उस में जलन होने लगती है मुंह में लालिमा लिए हुए छाले साफ दिखाई देते हैं भोजन करते समय यदि आहार इन छालो से रायगढ़ खा जाते हैं तो जलन होने लगती है गर्म आहार भी मुंह में नहीं रखा जा सकता दिनभर बेचैनी बनी रहती है और किसी काम में मन नहीं लगता है वेदना के कारण रोगी ठीक से बोल नहीं पाता है बोलने पर छालों मैं पीड़ा होती है रोगी के मसूड़ों में सूजन हो जाती है छाले हो जाने पर रोगी के मुख से दुर्गंध आने लगती है रोगी की सांस में दुर्गंध आती है तथा छालों का अंदरूनी हिस्सा लाल सुर्ख हो जाता है कुछ रोगियों के तालू में सूजन आ जाती है रोगी को कब्ज की शिकायत रहती है या दस्त लगे रहते हैं मल भी कठोर रहता है योगी बार-बार थूकता रहता है
- छालों पर ग्लिसरीन या वोरो- ग्लिसरीन लगाने से लाभ होता है।
- शहद मुख में लगाने से लाभ होता है पानी में शहद मिलाकर कुल्ले करने से आशातीत लाभ मिलता है।
- नीम के पानी में शहद मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है। शहद और दही मिलाकर चटाने से भी फायदा होता है। कच्चे दूध में शहद मिलाकर गरारे करने से भी जल्दी लाभ होता है ।
- विटामिन 'बी' कॉम्पलेक्स तथा विटामिन 'सी' प्रयोग करना हितकर होता है।
अनुभूत चिकित्सा
'गुडमैन्स' कम्पनी का 'गुडमैन्स मुँह के छालों की दवा' मुँह के हर प्रकार के छालों की उत्कृष्ट औषधि है। इस औषधि को दिन में 2 बार जीभ पर लगाकर लार टपकाना चाहिये। साथ ही चरक कम्पनी की मेनोल 2-2 टिकिया दिन में 2 बार दें। यदि रोगी को कब्ज की भी शिकायत रहती हो तो 'हरबोलेक्स' (हिमालय) की 3-3 टिकिया रात को सोते समय दें।
सामान्य पथ्यापथ्य एवं सहायक उपचार
1. आहार में दूध का उपयोग अधिक करें। दूध में चावल और शक्कर डाल कर पकाई हुई खीर रोगी के लिये आहार और औषधि दोनों का काम करती है । इसके लिये गाय या बकरी का दूध उत्तम होता है । डेरी का दूध, आइस्क्रीम का भी सेवन किया जा सकता है। आइस्क्रीम मुँह में शीतलता प्रदान करती है। यदि छोटे बच्चों का मुँह आ गया हो तो सीधे बकरी के थन से दूध की धार बच्चे के मुँह पर छोड़ने से आराम मिलता है। प्यास लगने पर ताजा और फीकी छाछ पीनी चाहिये। इसमें जीरा, धनियाँ-जीरा और नमक भी डाला जा सकता है। छाछ से शान्ति मिलती है। छाछ से सम्पूर्ण पाचनतंत्र में भी सुधार होता है। दिन में सुबह शाम 2 बार मामूली सा नमक और जीरा मिलाकर नीबू का शर्बत पियें। नीबू पेट की गड़बड़ी और मुँह के छालों को मिटाने में बहुत सहायता करता है। अनार का रस लिया जा सकता है। इससे मुँह के छाले के घावों को भरने में सहायता मिलती
चिकित्सा विधि
रोगी जब मुखपाक या मुख के छालों की शिकायत लेकर आता है तब उससे पूछताछ करने पर अक्सर रोगी पाचन विकार का शिकार मिलता है। कब्ज भी हो सकती है।
1. सर्वप्रथम यदि कब्ज हो तो रोगी को एनीमा दें। ग्लिसरीन सपोजीटरी भी प्रयोग की जा सकती है। कब्ज के लिये रात को सोने से पूर्व रोगी को 4-6 चम्मच ईशबगोल दूध में घोलकर निगलने की सलाह दें।
2. रोगी को मुख साफ करने का निर्देश दें।
3.संक्रमण से बचाव की चिकित्सा के लिये संक्रमणनाशक लोशन से कुल्ले करने का निर्देश दें ।
4. रोगी को पर्याप्त विटामिन्स तथा मिनरल्स का प्रयोग कराना चाहिये ।
Stomatitis मुंह के अंदर छाले
Reviewed by yunus health tips 786
on
April 13, 2021
Rating:
No comments: