intestinal colic पेट-दर्द
के कारण ,लक्षण,उपचार
पेट का दर्द abdominal pain गैस्ट्राल्जिया (gastralgia) इसे सामान्य बोलचाल में पेट दर्द भी कहते हैंabdominal pain in hindi
आंतों के भीतर सायविक ढंग का(शूल के दर्द की तरह) समय-समय पर एक तरह का तीव्र दर्द होता है उसे कॉलिंक या(Enteralgia) आंत्रशूल कहते हैं
इससे आंतो मैं किसी तरह का यांत्रिक परिवर्तन नहीं होता है intestinal-colic-पेट-दर्द
छोटी आंतों में रुकावट या किसी अन्य कारण से होने वाले पेट दर्द को intestinal colic कहते हैं
Intestinal colic may be defined as abdominal pain due to intestinal absorption or any other pathology in the intestine
(Spasmodic)स्पसमोडिक पीड़ा को शूल (colic) कहते हैं इसमें पेट के भीतर चुभन करने जैसा दर्द होता है जो अत्यंत भयानक होता है इसके कास्ट से रोगी व्याकुल हो जाता है कभी-कभी रोगी को सांस तक लेने में तकलीफ होती है रोगी तकलीफ से छटपटाता है दर्द की ऐठन, खोछा मारने, मरोड़ या अकड़न की तरहा होता है। पहले नाभि के चारों तरफ या पेट के दोनों बगल से दर्द आरंभ होकर चारों ओर फैल जाता है दर्द की धमक से रोगी बहुत बेचैन हो जाता है इसी को abdominal pain कहते हैं
intestinal-colic-पेट-दर्द
२.देर से पचने वाले भोजन से।
३.मिठाइयों को अधिक लेने से।
४.आंतों के भीतर आजीण- खाध इकट्ठा होता या सड़ता रहे।
५.कब्जियत या किसी दूसरी वजह से वायु के एकत्रित होने से।
६.आंतों के अंदर कीड़े होने से या कोई अन्य बाहरी वस्तु के उपस्थित रहने से।
७.तीव्र दस्तावर औषधि का सेवन से।
८.पेट में या पैरों में सर्दी लगने से।
९.मोटी रोटी कुछ ज्यादा दिनों तक खाने से।
१०.खराब पदार्थ या जहरीले पदार्थ खाने से भी।
११.चाय,कॉफी,आइसक्रीम,बर्फीले शरबत अधिक लेने से।
पीड़ा ऐठन युक्त होता है भोजन के बाद आमाशय में नक खरोच डालने जैसी पीड़ा होती है।
उदर को दबाने पर पीड़ा कुछ समय मालूम पड़ती है इसलिए रोगी दोनों टांग कोमोड़े खड़ा रहता है परंतु शीघ्र ही चार्ज का परिवेश उस विचलित कर देता है और योगी दर्द के कारण तड़पने लगता है।
पेट का दर्द कई प्रकार का होता है
1. Intestinal colic
पूर्व में colic के जो रूप बताए गए हैं यह सभी अकस्मात तेज दर्द के रूप में प्रकट होते हैं यह इस बात का सूचक है कि रोगी के पेट में जो पीड़ा हो रही है वह इस कारण से है कि उसके पेट में कोई उत्पन्न गंभीर दशा उपस्थित हो रही है जिससे रोगी का जीवन कष्ट में होता जाता है और उसका तत्काल उपचार आवश्यक है. intestinal-colic-पेट-दर्द
या Baralgan drop इनमें से कोई एक दे सकते हैं और जांच कराने के बाद मुकम्मल इलाज डॉक्टर से करवाना चाहिए
के कारण ,लक्षण,उपचार
पेट का दर्द abdominal pain गैस्ट्राल्जिया (gastralgia) इसे सामान्य बोलचाल में पेट दर्द भी कहते हैंabdominal pain in hindi
आंतों के भीतर सायविक ढंग का(शूल के दर्द की तरह) समय-समय पर एक तरह का तीव्र दर्द होता है उसे कॉलिंक या(Enteralgia) आंत्रशूल कहते हैं
इससे आंतो मैं किसी तरह का यांत्रिक परिवर्तन नहीं होता है intestinal-colic-पेट-दर्द
छोटी आंतों में रुकावट या किसी अन्य कारण से होने वाले पेट दर्द को intestinal colic कहते हैं
Intestinal colic may be defined as abdominal pain due to intestinal absorption or any other pathology in the intestine
(Spasmodic)स्पसमोडिक पीड़ा को शूल (colic) कहते हैं इसमें पेट के भीतर चुभन करने जैसा दर्द होता है जो अत्यंत भयानक होता है इसके कास्ट से रोगी व्याकुल हो जाता है कभी-कभी रोगी को सांस तक लेने में तकलीफ होती है रोगी तकलीफ से छटपटाता है दर्द की ऐठन, खोछा मारने, मरोड़ या अकड़न की तरहा होता है। पहले नाभि के चारों तरफ या पेट के दोनों बगल से दर्द आरंभ होकर चारों ओर फैल जाता है दर्द की धमक से रोगी बहुत बेचैन हो जाता है इसी को abdominal pain कहते हैं
intestinal-colic-पेट-दर्द
रोग के प्रमुख कारण
१.पाचन शक्ति से अधिक भोजन करने से।२.देर से पचने वाले भोजन से।
३.मिठाइयों को अधिक लेने से।
४.आंतों के भीतर आजीण- खाध इकट्ठा होता या सड़ता रहे।
५.कब्जियत या किसी दूसरी वजह से वायु के एकत्रित होने से।
६.आंतों के अंदर कीड़े होने से या कोई अन्य बाहरी वस्तु के उपस्थित रहने से।
७.तीव्र दस्तावर औषधि का सेवन से।
८.पेट में या पैरों में सर्दी लगने से।
९.मोटी रोटी कुछ ज्यादा दिनों तक खाने से।
१०.खराब पदार्थ या जहरीले पदार्थ खाने से भी।
११.चाय,कॉफी,आइसक्रीम,बर्फीले शरबत अधिक लेने से।
दर्द की विशेषताएं
यह का एक प्रारंभ होता है और कभी-कभी वैसे ही एक-एक शांत भी हो जाता हैपीड़ा ऐठन युक्त होता है भोजन के बाद आमाशय में नक खरोच डालने जैसी पीड़ा होती है।
उदर को दबाने पर पीड़ा कुछ समय मालूम पड़ती है इसलिए रोगी दोनों टांग कोमोड़े खड़ा रहता है परंतु शीघ्र ही चार्ज का परिवेश उस विचलित कर देता है और योगी दर्द के कारण तड़पने लगता है।
पेट का दर्द कई प्रकार का होता है
1. Intestinal colic
2. Appendicular colic
3. Biliary colic
4. Renal colic
5. Uterine colic
पूर्व में colic के जो रूप बताए गए हैं यह सभी अकस्मात तेज दर्द के रूप में प्रकट होते हैं यह इस बात का सूचक है कि रोगी के पेट में जो पीड़ा हो रही है वह इस कारण से है कि उसके पेट में कोई उत्पन्न गंभीर दशा उपस्थित हो रही है जिससे रोगी का जीवन कष्ट में होता जाता है और उसका तत्काल उपचार आवश्यक है. intestinal-colic-पेट-दर्द
Emergency treatment
Injection diclofenac sodium या fortwin
और injection Ranitidine hydrochloride
Baby treatment
Spasmodic drop, Colimex drop,या Baralgan drop इनमें से कोई एक दे सकते हैं और जांच कराने के बाद मुकम्मल इलाज डॉक्टर से करवाना चाहिए
intestinal colic पेट दर्द
Reviewed by yunus health tips 786
on
September 24, 2019
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