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Bavasir बवासीर का इलाज

बवासीर के मस्सों को जड़ से खत्मर बवासीर का सफल इलाज 

कारण

रोक के मुख्य लक्षण

बादी बवासीर

खूनी बवासीर

             
आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसको हेमरॉयडल भी
 कहा जाता है सामान्य बोलचाल में इसको पाइल्स 
के नाम से जाना जाता है पाइल्स
इस रोग में गुदा द्वार पर एक प्रकार के मस्से से फूल
 जाते हैं मलद्वार की नसे फूल जाने से वहां की त्वचा 
सख्त हो जाती है तथा पीड़ा की टीसें उठती हैं और 
कुछ केसिस में नहीं उठती अंगूर की भांति एक दूसरे 
से जुड़े हुए मस्सों के गुच्छे से उभर आते हैं 
 इन गुच्छों से रक्त बहने लगता है 
कुछ रोगियों को रक्त नहीं बहता है रोगी को
 अति तीव्र वेदना होती है रोगी का उठना बैठना
 चलना फिरना दूभर हो जाता है मलद्वार के अंदर
 तथा बाहर की नसों में तीव्र सूजन हो जाने 
 अथवा नसों के फूल जाने से रोगी को अत्यधिक
 कष्ट होता है।
बवासीर का इलाज


               कारण

आयुर्वेद के अनुसार बवासीर का मुख्य कारण
अग्नि मंद और कब्जियत है अग्नि मंद और
 कब्जियत का पारंपरिक संबंध है बासी खाना,
गरिष्ठ अत्यधिक मेदे वाला खाना,अतिशय 
चिकनाई युक्त वाला खाना,अंडा और मास,
 मिलावटी आहार ग्रहण करने से पेट की कार्यशीलता 
मंद पड़ जाती है
सूखी हुई सब्जियां व कच्ची सब्जियां तथा चिकनाई
 युक्त आहार बांसी मास इसके खाने से भी बवासीर
 उत्पन्न होती है
 शराब,रायता,चटनी,गरम मसाले आदि के 
अत्यधिक उपयोग करने से भी बवासीर होने की 
संभावना बढ़ जाती है
यह एक वंशानुगत बीमारी भी है जिन लोगों के 
पूर्वजों को लंबे समय तक बवासीर की बीमारी रही
 हो उनके वंशजों को भी यह रोग विरासत में मिल जाता है
 दूध के साथ प्याज,लहसुन,नमक,मांस,मछली
 आदि नहीं खाना चाहिए अन्यथा बवासीर हो 
जाने की पूरी संभावना होती है
जिन महिलाओं को अधिक प्रस्तुतियां होती हैं 
उन्हें भी बवासीर की शिकायत होती है
इसके अतिरिक्त अत्यधिक मैथुन करना भी इसका एक कारण होता है
 आहार-विहार की गड़बड़ी मदिरापान प्रोस्टेट ग्रंथि
 की वृद्धि मूत्र संबंधी रोग एवं विकार मूत्राशय में
 पथरी की शिकायत अत्यधिक चाय कॉफी 
का उपयोग आदि कारणों से भी बवासीर की
 उत्पत्ति होती है
              

              रोक के मुख्य लक्षण

 सामान्य रूप से बवासीर दो प्रकार की होती है
बादी बवासीर 
 खूनी बवासीर
         

              बादी बवासीर

 मस्से गोदा के अंदर रहते हैं पर उनसे रक्त नहीं
 गिरता पर पीड़ा और तनाव आवश्यक रहता है
 रोगी के मस्सों में जलन होती है मल कड़ा उतरने 
से मस्से छिल जाते हैं जब रोगी को मस्सों में पीड़ा 
के साथ तीव्र जलन व खुजली होती है
 रोगी का हाथ जाने अनजाने बार-बार गुदा
 में खुजलाने के लिए उठता रहता है।


            खूनी बवासीर 


         
 रोगी को इस प्रकार की बवासीर में बेहद मानसिक 
कष्ट रहता है उसकी गुदा से कभी कभी रक्त गिरने
 लगता है जिससे रोगी के कपड़े तक खराब हो
 जाते हैं 
बवासीर की जानकारी निम्नलिखित लक्षणों से
 हो सकती है 
बवासीर का रोग सीधा तंन कर बैठ नहीं सकता
 यदि बवासीर अधिक फैल जाए तो रोगी तंन कर
 चल भी नहीं सकता मलद्वार में बार बार 
दर्द होता है कभी-कभी दर्द के साथ जलन 
भी होती है 
बवासीर का रोगी अच्छी तरह मल त्याग नहीं
 कर पाता अपान वायु ठीक से निष्कासित नहीं
 होती रोगी के पैरों में पीड़ा होती है 
तथा चेहरा फीका पड़ जाता है
 मल त्याग के समय बवासीर पर घर्षण होने से 
उस भाग में पीड़ा होती है यदि मल सख्त है 
तो बवासीर के घर्षण होने से रक्त टपकने लगता है 
कमजोर एव थकान महसूस करता है   

कब्ज (constipation) होने पर आपको मल (stools) करते वक़्त ज़ोर लगाना पड़ता है, जिसकी वजह से गुदा में दबाव पड़ता है| लम्बे समय तक कब्ज होने पर वहाँ बवासीर बन सकतें हैं

 कब्ज इस रोक की प्रमुख जड़ है
कड़ा मल जब आंतों में सूख जाता है तब मल 
कठिनाई से उतरता है कड़ा मल उतरने से गुदा
 में घाव,दरारें अथवा गोदा का छिल जाना
 लक्षण होते हैं 
कुर्सी किसी आसन गद्दी तकिया के सहारे घंटों 
तक बैठे रहने से भी इस रोग की संभावना रहती है 


                याद रहे

बवासीर से ग्रस्त रोगी के सख्त मल पर अर्श से
 निकलने वाला रक्त उनका लंबा दाग देखा जा सकता है

         चिकित्सा विधि 


रोगी के मूल कारणों को दूर करें

 कब्ज कभी ना रहने दे 
मनपसंद हल्का-फुल्का व्यायाम प्रातः शाम कराएं
 शोथावस्था में पूर्ण विश्राम दें 
बादी बवासीर के लिए ऑपरेशन की आवश्यकता 
नहीं शोथयुक्त बादी बवासीर में हेडन मरहम लगाएं
खूनी बवासीर का असली इलाज ऑपरेशन था 
लेकिन अब हमारे पास इसका गारंटी का इलाज है
किसी भी प्रकार के अर्श मैं कब्ज ना रहने दें


            खाने में 


अर्श के रोगी को मूंग की दाल,चावल 
नरम चपाती खस्ता,मोयन वाली रोटी 
मूंग की दाल,मिश्रित खिचड़ी 
लोकी ,परवल ,करेला, फूलगोभी,पत्ता गोभी 
तोरई,नरम बैंगन,प्याज ताजी सब्जी और
 फल फ्रूट आदि का सेवन किया जा सकता है
 आर्श के रोग में दूध मक्खन ,छाछ ,आंवला और 
अंगूर बहुत लाभदायक है अर्श के रोगी को
 साइकिल की सवारी कम करके पैदल चलने 
की आदत डालनी चाहिए खड़े बाल नहीं 
बैठना चाहिए और मल त्याग करते समय
जोर नहीं लगाना चाहिए अर्श की अवस्था
 में खुल कर मल त्याग हो इसके लिए
 जुलाब कराने वाली औषधि देनी चाहिए
 इसके लिए ईसबगोल की भूसी या त्रिफला
 बहुत ही उपयोगी है खूनी बवासीर में 
इसबगोल छाछ के साथ लेने से बहुत
 आराम मिलता है   
बादाम के तेल और कार्बोलिक एसिड से तैयार किया हुआ इंजेक्शन जो बवासीर के मस्सों में लगाकर उन मस्सों को सिखाने का काम करता है
बवासीर में कोई भी गर्म चीज का खाने में उपयोग नहीं करना चाहिए यहां तक कि देसी घी का भी ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए यह भी गर्मी पैदा करता है

अगर आप किसी बीमारी से ग्रस्त है और दवा चल रही है पहले अपने नजदीकी दवाखाना या हॉस्पिटल के डॉक्टर से सलाह लें उसके बाद ले सकते हैं

   बवासीर में सेवन कराने योग्य औषधि  


Tab pilex 2tab×tds
 आवश्यकता अनुसार लगातार एक हफ्ते
 तक प्रयोग करें    
Tab Herbolax   
यदि अर्श का कारण कब्ज है
तो कब्ज दूर करने के लिए दो टकिया
 रात को सोते समय ले सकते हैं


    Homeopethi treatment


Silicea 4tab×BD
Acsculus mT 20drop×BD
Thuja 1m. 2drop in morning OD weakly
Pionia mT 
Tuberculinum200
Hemameles mT 




बवासीर का हमारे पास सफल इलाज है बिना ऑपरेशन के जड़ से खत्म हो जाएगी अगर आपको दवा चाहिए तो ऑनलाइन आपके पास पहुंच सकती है आप हमसे नीचे ईमेल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं

Bavasir बवासीर का इलाज Bavasir  बवासीर का इलाज Reviewed by yunus health tips 786 on August 11, 2019 Rating: 5

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