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Tuesday, December 6

Different type of stomach pain and medicine

विभिन्न प्रकार के पेट दर्द और दवा
विभिन्न प्रकार के पेट दर्द और दवा

 पेट दर्द एक बिल्कुल समान आम समस्या है और पेट दर्द अलग-अलग कारणों से होता है और कारण बदलने के साथ पेट दर्द होने की जगह भी बदल जाती है इसी कारण से काफी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है जब पेशेंट आता है तो उसे किस तरह की दवा दी जाए, किस तरह की दवा दी जाए जिससे उसका जल्दी पेट ठीक हो जाए इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए आज हम जानेगे पेट दर्द को कैसे पहचानें? 

साथ ही किस कारण से पेट के किस हिस्से में दर्द होता है? 

पेट के किन हिस्सों में दर्द होने पर कौन सी टूट जाता है?

पेट दर्द को किसी परिचित के लिए सबसे पहले हमें पेट की संरचना एब्डोमिनल एनाटॉमी की जानकारी होना जरूरी है यह एब्डोमिनल एरिया हमारी नाभि के ऊपर नीचे दायें तथा बाइक का जो एरिया हैं 

विभिन्न प्रकार के पेट दर्द
विभिन्न प्रकार के पेट दर्द 


पूरा कंप्लीट होता है ये हमारे फेफड़े से खत्म होने से घेरा जो कमर का निचला हिस्सा है, यहां तक ​​का एरिया इसे हम चित्र से समझ लेते हैं क्योंकि आप स्क्रीन पर देखकर पा रहे हैं निशान खत्म होते ही हमारा लिवर शुरू हो जाता है। और लिवर के नीचे बाईं ओर पेट जैसे कि हिंदी में आमाशय और लिवर के राइट साइड में नीचे की ओर पित्ताशय है, गालब्लैडर के नीचे लार्ज इंटेनस्टाइन जो असेंडिंग लार्ज इन्टेंस्टाइन भी कहते हैं, भोजन को ऊपर की ओर भेजती है फिर बीच में सेंटर हो के बाईं बड़ी आंत से नीचे की ओर मलाशय में चला जाता है और जो बड़ी आंत में ऊपर की ओर जाता है, जो पीछे की तरफ वाली होती है, इसके नीचे जो छोटा मुंह दिखाता है, यह अपेंडिक्स है  

अपेंडिक्स से थोड़ा ऊपर की ओर इसके पीछे किडनी होती है? केंद्र में ऊपर पेट होता है इसके ठीक पीछे की ओर पेनक्रियाज होती है पेनक्रियाज के नीचे जो केंद्र में आ जाती है, छोटी आंत रहती है और यदि बाईं ओर की दिशा में होती है तो बाईं ओर बड़ी आंत में होती है


 मतलब नीचे की तरफ जो खाने को भेजता है और लेफ्ट साइड किडनी भी होती है और अब अगर लोअर एब्डोमेन की बात करें तो लोअर एब्डोमेन में फीमेल अगर बात करें तो यहां पे यूटरस वेरी यह जरूरी रहते हैं और बाकी पुरुष और महिला दोनों में रेक्टम और यूरिनरी ब्लेडर ये सभी होते हैं तो यह मोटा मोटा एनाटोमी था जीसको आपको इसकी जानकारी जानने के लिए जरूरी था कि आप पेट में किस तरफ कौन सी चीज है? अब हम यह समझ लेते हैं कि किस जगह पर किस कारण से दर्द होता है और थोड़ा बहुत आपको कॉस लग गया होगा जिससे कि आप एनाटॉमी जानी जाती थी अब बात करते हैं अपर एब्डोमिनल पेन है जहां सबसे ऊपर हमें कलेजे में जो होता है फेफड़े के नीचे दर्द होता है बीचोबीच तो यह दर्द, पेप्टिक अल्सर, हार्ट बर्न और इनडाइजेशन अपच की वजह से हो सकता है 

 


अगर बात करें पेट के ऊपरी हिस्से में राइट साइड में और किस तरह का दर्द होता है तो ये गाल ब्लेडर में किसी तरह की समस्या होने पर गिल स्टोन होने पर पथरी हो जाने पर गाल ब्लैडर में यह दर्द होता है और ऊपरी साइड की जो लेफ्ट साइड है इसमें अपर साइड का साइड और अपर साइड के लेफ्ट हैं ये तीनों ही दोनों फेफड़े के नीचे और आघात के पास में ये लगातार जो दर्द होता है वो आपको होता है पेनक्रिएटाइटिस पेनक्रियाज में सूजन आ जाने के कारण से 



अब अगर आगे बढ़ता है, राइट साइड में पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है, वो क्यों होता है? उसे एपेंडिस के कारण गुर्दे के कारण होता है और महिलाओं में किसी भी प्रकार की समस्या होने का कारण ऊपरी पेट में दर्द होता है और इसका एक कारण होता है 

 कोलाइटिस होने के कारण ही किडनी में किसी भी तरह की समस्या के कारण ये लोअर लेफ्ट साइड में दर्द हो सकता है अब पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है जो अपनी नाभि के नीचे का जो नाभि है यहां पे दर्द होता है यहां दर्द होने का कारण यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है है आईबीएस इरीटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या ब्लोटिंग का मतलब बहुत अधिक गैस बन सकती है और इसके अलावा महिलाओं में पैल्विक इनफॉरमेट्री डिजीज या गर्भाशय से संबंधित किसी प्रकार की समस्या हो सकती है, इस तरह से पेट में जीएस प्लेस दर्द होता है। वो डिसाइड किया जाता है किस कारण से दर्द होता है अब अगर हमें पता चल गया है कि किस कारण से दर्द हो रहा है और किस जगह पर दर्द हो रहा है? हमें दवा देने में आसानी से हो जाती है, सामान्य तौर पर जो दवा दी जाती है, डॉक्टर द्वारा उसके बारे में जान लेते हैं 



जब पेट के ऊपरी हिस्से में बीचोबीच दर्द रहता है तो उस समय एंटासिड दवा दी जाती है मुख्य रूप से पेंटाप्राजोल ओमेप्राजोल रैबीप्राजोल इस प्रकार के कैप्सूल दिए जा सकते हैं जिन्हें हम लोगों का अनुमान कहते हैं और एंटासिड सिरप भी दी जा सकती है मुख्य एंटासिड सिरप डाइजिन सिरप दी जाती है जब पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है और जब दाहिनी ओर होता है तो आपको पेन रहेगा जो गॉलब्लैडर स्टोन का पेन है गॉलब्लेडर का दर्द तो उस समय तथा जो अपेंडिक्स का दर्द राइट साइड में नीचे की ओर रहता है इसमें किडनी स्टोन का भी दर्द हम समझ सकते हैं तो इसमें कुछ दर्दनिवारक दवाइयां दी जाती हैं वहां टैबलेट होती है डाइक्लोफेनाक, एसिक्लोफेनाक, निमसुलाइड,ट्रामाडोल या इसके साथ पेरासिटामोल संयोजन भी हो सकता है जो सामान्य पेनकिलर है यह इस समय दिया जाता है और किसी व्यक्ति को यदि बाईं ओर पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है जो कॉन्स्टिपेशन के कारण होता है तो इस कॉन्स्टिपेशन में लैग्जेटिव सिरप के साथ एंटीस्पास्मोडिक दवा दिया है 


 लैक्टुलोस लिक्विड दे सकते हैं, बिसाकोडील टैबलेट दे सकते हैं इसके अलावा डायसाइक्लोमिन टैबलेट ड्रोटावेरिन टैबलेट दे सकते हैं जिस से आप रुक जाएं 

आपके पेट में दर्द हो सकता है और यह भी जान सकता है कि पेट में म्यूकोसा नामक म्यूकस की एक स्लिपरी परत है। यह अस्तर आपके पेट को भोजन को पचाने वाले मजबूत एसिड से एसिड से जमा करता है। जब कोई चीज इस एक्सचेंज लाइनिंग को नुकसान पहुंचाती है या कमजोर करती है, तो म्यूकोसा में सूजन हो जाती है, जिससे आपको चलने में भी दर्द महसूस होता है, वही को गैस्ट्रस कहते हैं, इसके ऊपर मैंने वीडियो बनाया है जिसका लिंक में रखा है I बटन या डिस्क्रिप्शन बॉक्स में जाकर वहां जाकर आप देख सकते हैं

 अब बात करते हैं महिलाओं के पेट दर्द की

जब निचला पेन नाभि के नीचे के क्षेत्र में होता है तो यह यूरिन इन्फेक्शन के कारण हो सकता है महिलाओं को पेल्विक सूजन की बीमारी हो सकती है क्योंकि उस समय दर्द को ठीक करने के लिए एंटीस्पास्मोडिक दवाई दी जाती है जिसे इसे नीचे दिया गया है 


डाईसाइक्लोमिन या ड्रोटावेरिन इसके साथ पैरासिटामॉल मेनफैनिमिक एसिड, एसिक्लोफेनाक कॉम्बिनेशन भी हो सकता है और पुरुषों में अगर पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है तो यह आईबीएस इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कारण हो सकता है ब्लोटिंग मतलब गैस व अन्य कारण हो सकता है और जब येबीएस आई और ब्लास्टिंग के कारण उस समय एंटीस्पास्मोडिक दिया जाता है जो उसे पेट दर्द में दिया जाता है, जो दवाएं दी जाती हैं, उसके साथ पीया जाता है जिसे हमें पेंटाप्रोजोल, ओमेप्राजोल, रैबीप्राजोल दिया जाता है जिससे उसका दर्द ठीक हो सकता है तो यहां सामान्य रूप से आमतौर पर जो मुख्य रूप है जीस कारण से पेट दर्द होता है, जीस जगह पे पेट दर्द होता है और उस जगह के कारण से जो दिशा दी जाती है.....

किसी भी बीमारी को समझने के लिए या किसी भी दवा को यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह आवश्यक ले अगर ऐसा नहीं करती हैं तो इसके जिम्मेदार खुद आप हैं 

Friday, December 17

Important of kidney function

 

Important of kidney function
Important of kidney function

The kidneys are two or three bean-formed organs on either side of your spine, underneath your ribs and behind your stomach. Each kidney is around 4 or 5 inches long, for the most part the size of a gigantic hold hand. The kidneys' obligation is to channel your blood.

One of two or three organs in the mid-district. The kidneys take out squander and extra water from the blood (as pee) and help with keeping engineered materials

vrkk kasherukiyon mein pae jaane vaale do gulaabee kira rang ke been ke aakaar ke ang hain. They are arranged on the left and solidly in the retroperitoneal space, and in adult .

You have dry and irritated skin.

You see blood in your pee

Your pee is frothy

You're encountering persevering puffiness around your eyes.


The 7 elements of the kidneys


A - controlling ACID-base equilibrium.

W - controlling WATER balance.

E - keeping up with ELECTROLYTE balance.

T - eliminating TOXINS and side-effects from the body.

B - controlling BLOOD PRESSURE.

E - creating the chemical ERYTHROPOIETIN.

D - enacting nutrient D.


What causes kidney issue?


There are numerous potential reasons for kidney disappointment, including diabetes, hypertension, openness to undeniable degrees of prescription, outrageous lack of hydration, kidney injury, or different elements. Kidney sickness is ordered into five phases. These reach from extremely gentle to finish kidney disappointment.


Would you be able to live without a kidney?


Since your kidneys are so significant, you can't live without them. Be that as it may, it is feasible to carry on with an alive and well existence with just one working kidney.


What tone is pee when your kidneys are falling flat?


Light-brown or tea-shaded pee can be an indication of kidney illness or disappointment or muscle breakdown


For what reason do we want 2 kidneys?


They help your bones stay sound, advise your body when to make fresh blood cells, and even assist you with remaining upstanding when you're strolling around the entire day by dealing with your circulatory strain. With that large number of significant capacities, researcher think having two kidneys should be significant for our endurance.


Is drinking a ton of water useful for your kidneys?


your blood as pee. Water additionally helps keep your veins open so that blood can head out unreservedly to your kidneys, and convey fundamental supplements to them. Be that as it may, assuming you become dried out, then, at that point, it is more hard for this conveyance framework to work.


How might you differentiate between back torment and kidney torment?


Kidney torment is felt higher and more profound in your body than back torment. You might feel it in the upper portion of your back, not the lower part. Dissimilar to back distress, it's felt on one or the two sides, ordinarily under your rib confine. It's generally expected consistent.


Would kidneys be able to mend themselves?


may mend themselves. In most different cases, intense kidney disappointment can be dealt with assuming it's gotten early. It might include changes to your eating regimen, the utilization of meds, or even dialysis


Having three kidneys is uncommon, with less than 100 cases detailed in the clinical writing, as indicated by a 2013 report of a comparative case distributed in The Internet Journal of Radiology. The condition is thought to emerge during undeveloped turn of events, when a design that normally frames a solitary kidney parts in two.

किसी भी बीमारी को समझने के लिए या किसी भी दवा को यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह आवश्यक ले अगर ऐसा नहीं करती हैं तो इसके जिम्मेदार खुद आप हैं 

Thursday, December 2

stomach Acidity

 How to reduce stomach acidity

खाना पचना सीने में जलन होना गैस बनने की शिकायत खाना हजम ना होना इसके बारे में जानकारी दी गई है Acidity in stomach

 परिचय - जब आमाशय में 'अम्ल रस' की अधिकता होने लगती है तब उसको अम्लपित्त के नाम से जाना जाता है। अम्लपित्त एक पित्तजन्य विकार है इसीलिये इसका अम्लपित्त नामकरण किया गया है। नमक, खट्टे पदार्थ तथा अत्यधिक तीक्ष्ण गर्म वस्तुयें प्रयोग करने से पित्त प्रकुपित हो उठता है और 'अम्ल रस' की अधिकता होने लगती है। इसे हाइपर एसीडिटी/ हार्टवर्न भी कहते हैं।

acidity of stomach



रोग के प्रमुख कारण acidity of stomach


यह बीमारी आमाशय (पाक स्थली) में एसिड

(अम्ल) की अधिकता के कारण होती है। सामान्य अवस्था में पाक स्थली के भीतर स्थित छोटी-छोटी ग्रन्थियों से निकलने वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन को पचाने में मदद करता है, किन्तु यही अम्ल जब आवश्यकता से अधिक मात्रा में बनने लगता है तो छाती की हड्डी के पीछे भोजन नली में

जलन की अनुभूति होती है। एसिड प्रायः

निम्न कारणों से अधिक बनती है 

  •  मानसिक चिन्ता एवं हर काम में जल्दबाजी। 
  •  खाने में अधिक मिर्च, अचार व गर्म मसाले।
  •  तला व अधिक मसालेदार भोजन पेट भर खाने के बाद रात को बिना टहले सो जाना।
  •  भोजन समय पर न लेना।
  •   अधिक शराब के सेवन एवं धूम्रपान ।
  •  ज्यादा तम्बाकू व चूने, कत्थे का पान खाना।
  •  क्रानिक (Chronic) इसोफेजाइटिस एवं हाइटस हर्निया ।


रोग के प्रमुख लक्षण acidity in stomach symptoms


छाती के बीचों-बीच जलन होती है। अर्थात् सीना जलने लगता है। आँखों में जलन होती है, माथे पर तपन मालूम होती है। हथेलियों और पैरों के तलवों में भी जलन होती है। पेशाब लाल, पीले रंग का होता है, मल त्याग के समय मल गर्म लगता है। इस प्रकार पित्त पूरे शरीर में दाह और जलन पैदा करता । अम्ल पित्त की प्रारम्भिक स्थिति में जलन के लक्षण कम दिखायी देते हैं। जब रोग बढ़ जाता है तब जलन के लक्षण अधिक दिखाई देने लगते हैं। रोगी को ऐसा निरन्तर अनुभव होता रहता है जैसे उसके शरीर में सूक्ष्म ज्वर हो, किन्तु ज्वर की दवा लेने से यह लक्षण दूर नहीं होता। यही नहीं थर्मामीटर से भी इस ज्वर का पता नहीं लगता है।


इस रोग में भूख कम हो जाती है। अशक्ति, थकान, पैरों में पीड़ा, चक्कर आना, आँखों के सामने अँधेरा छा जाना आदि तकलीफें होने लगती हैं। रोगी का मल ढीली स्थिति में रहता है। कुछ लोग कब्जियत की भी शिकायत करते हैं। अम्ल की अधिक मात्रा बढ़ जाने पर रोगी के शरीर पर छोटी-छोटी फुंसियाँ हो जाती हैं। उसे हल्की-सी खुजलाहट भी होती है। रोगी के जोड़ों में पीड़ा होती है, बेचैनी बनी रहती है, खाने की इच्छा नहीं होती है। मुँह का स्वाद बिगड़ा रहता है। नींद में कमी आ जाती है। रोगी को कई बार रक्तस्राव भी होते देखा जाता है।

यदि अम्लपित्त का प्रभाव लम्बे समय तक जारी रहे, तो रोगी को गर्मी का प्रभाव स्पष्ट मालूम होने लगता है। इससे बाल झड़ने या सफेद होने लगते हैं। रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा

और क्रोधी हो जाता है।


रोग की पहचान what is acidity reflux


छाती के बीचों-बीच में जलन, इपीगैस्ट्रिक स्थान पर जलन व दर्द रोगी अँगुली का इशारा कर बताता है। खट्टी डकारें, मुँह में खट्टा व कड़वा जल भर आना, गर्म पेय या तला हुआ भोजन लेते ही जलन का होना आदि लक्षणों के देने पर रोग को पहचानने में कोई कठिनाई नहीं होती है।


रोग का परिणाम


इस व्याधि के उपद्रव स्वरूप कभी-कभी त्वचा के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। सावधानी न बरतने पर आगे चलकर पेट में अल्सर हो जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में आमाशय में तीव्र पीड़ा होती रहती है। रोग के अधिक जीर्ण होने पर दस्त के साथ आँव और पित्त निकलने की शिकायतें आम होने लगती हैं।


चिकित्सा विधि


भोजन की ओर विशेष ध्यान दें। खट्टे-चटपटे, मिर्च-मसालेदार तेल, घी, चिकनाईयुक्त खाद्य पदार्थ तत्काल बंद करा दें। चाय, कॉफी, शराब (मद्य), माँस, तम्बाकू, आधुनिक मसालेदार पुड़िया आदि का पूर्ण निषेध |आँवला और अनार को छोड़कर कोई खट्टा फल खाने को न दें। नये रोग में प्रोटीनयुक्त भोजन दिया जा सकता है। 


पथ्य एवं सहायक चिकित्सा


इस रोग में मैदायुक्त भोजन, आलू, गरिष्ठ भोजन, अधिक मात्रा में शक्कर, मिठाई, मिर्च और खट्टी चीजें न दें। आलू का सेवन उपयुक्त नहीं है। सुबह अण्डा, दोपह को हल्का भोजन, दूध, तीसरे पहर मक्खन लगे टोस्ट और शाम को हल्का आहार दे खाने से पहले Hydrochloric acidil. और खाने के बाद सोडा बाई कार्ब गोली दें।

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नोट-सोडा बाई कार्ब को शहद में मिलाकर 4-4 घण्टे बाद चटाने से भी लाभ होता मैग कार्ब भी दिया जा सकता है।

आधुनिक उपचार


रोगी को शुरू से ही एन्टासिड (Antacids) दें। प्रत्येक 4 से 6 घण्टे में 3 चम्मच एन्टासिड लें। जैसे

1. म्यूकेन जैल (Mucaine gel) 

2. डाइजिन जैल (Digine gel) या डाइजिन टेबलेट।

3. पोलीक्रोल फोर्ट जैल (Polycrol forte gel) |

 इसको लेने से जलन व दर्द में आराम मिलता है। उल्टी की शिकायत होने पर

इन्जेक्शन द्वारा मेटोक्लोप्रामाइड दें। इन्जेक्शन पेरीनॉर्म (Perinorm) । एम्पुल माँसपेशीगत या आई० वी० अथवा मेटोक्लोप्रामाइड की गोली दें।

अम्लपित्त / खट्टी डकारें आना / आमाशय की अम्लता | 13

यदि रोगी को हाथ में इन्फैक्शन हो तो एण्टीबायोटिक औषधियाँ भी देनी चाहिये। * करोसिव पायजनिंग के लिये शुरू में ही एण्टीडोट दें। रोगी को प्रत्येक अवस्था में इन्जेक्शन के द्वारा H, रिसेप्टर (Antagonist) दे सकते हैं। जैसे- इन्जे० एसिलोक (Aciloc) 2 ml. माँसपेशीगत या आई० वी० या इन्जेक्शन रेनटेक (Rantac ) 2ml. माँसपेशीगत या आई० वी० ।


* यदि ज्यादा खाना खाने से या चिकनाईयुक्त भोजन से रोग हो तो ईनो (Eno) या पेपेज (Pepz) ले सकता है। इससे तुरन्त आराम मिलता है।

किसी भी बीमारी को समझने के लिए या किसी भी दवा को यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह आवश्यक ले अगर ऐसा नहीं करती हैं तो इसके जिम्मेदार खुद आप हैं 


Saturday, April 24

How to reduce stomach acidity

खाना ना पचना सीने में जलन होना गैस बनने की शिकायत खाना हजम ना होना इसके बारे में जानकारी दी गई है Acidity in stomach

 परिचय - जब आमाशय में 'अम्ल रस' की अधिकता होने लगती है तब उसको अम्लपित्त के नाम से जाना जाता है। अम्लपित्त एक पित्तजन्य विकार है इसीलिये इसका अम्लपित्त नामकरण किया गया है। नमक, खट्टे पदार्थ तथा अत्यधिक तीक्ष्ण गर्म वस्तुयें प्रयोग करने से पित्त प्रकुपित हो उठता है और 'अम्ल रस' की अधिकता होने लगती है। इसे हाइपर एसीडिटी/ हार्टवर्न भी कहते हैं।

रोग के प्रमुख कारण acidity of stomach


यह बीमारी आमाशय (पाक स्थली) में एसिड

(अम्ल) की अधिकता के कारण होती है। सामान्य अवस्था में पाक स्थली के भीतर स्थित छोटी-छोटी ग्रन्थियों से निकलने वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन को पचाने में मदद करता है, किन्तु यही अम्ल जब आवश्यकता से अधिक मात्रा में बनने लगता है तो छाती की हड्डी के पीछे भोजन नली में

जलन की अनुभूति होती है। एसिड प्रायः

निम्न कारणों से अधिक बनती है 

  •  मानसिक चिन्ता एवं हर काम में जल्दबाजी। 
  •  खाने में अधिक मिर्च, अचार व गर्म मसाले।
  •  तला व अधिक मसालेदार भोजन पेट भर खाने के बाद रात को बिना टहले सो जाना।
  •  भोजन समय पर न लेना।
  •   अधिक शराब के सेवन एवं धूम्रपान ।
  •  ज्यादा तम्बाकू व चूने, कत्थे का पान खाना।
  •  क्रानिक (Chronic) इसोफेजाइटिस एवं हाइटस हर्निया ।


रोग के प्रमुख लक्षण acidity in stomach symptoms


छाती के बीचों-बीच जलन होती है। अर्थात् सीना जलने लगता है। आँखों में जलन होती है, माथे पर तपन मालूम होती है। हथेलियों और पैरों के तलवों में भी जलन होती है। पेशाब लाल, पीले रंग का होता है, मल त्याग के समय मल गर्म लगता है। इस प्रकार पित्त पूरे शरीर में दाह और जलन पैदा करता । अम्ल पित्त की प्रारम्भिक स्थिति में जलन के लक्षण कम दिखायी देते हैं। जब रोग बढ़ जाता है तब जलन के लक्षण अधिक दिखाई देने लगते हैं। रोगी को ऐसा निरन्तर अनुभव होता रहता है जैसे उसके शरीर में सूक्ष्म ज्वर हो, किन्तु ज्वर की दवा लेने से यह लक्षण दूर नहीं होता। यही नहीं थर्मामीटर से भी इस ज्वर का पता नहीं लगता है।


इस रोग में भूख कम हो जाती है। अशक्ति, थकान, पैरों में पीड़ा, चक्कर आना, आँखों के सामने अँधेरा छा जाना आदि तकलीफें होने लगती हैं। रोगी का मल ढीली स्थिति में रहता है। कुछ लोग कब्जियत की भी शिकायत करते हैं। अम्ल की अधिक मात्रा बढ़ जाने पर रोगी के शरीर पर छोटी-छोटी फुंसियाँ हो जाती हैं। उसे हल्की-सी खुजलाहट भी होती है। रोगी के जोड़ों में पीड़ा होती है, बेचैनी बनी रहती है, खाने की इच्छा नहीं होती है। मुँह का स्वाद बिगड़ा रहता है। नींद में कमी आ जाती है। रोगी को कई बार रक्तस्राव भी होते देखा जाता है।

यदि अम्लपित्त का प्रभाव लम्बे समय तक जारी रहे, तो रोगी को गर्मी का प्रभाव स्पष्ट मालूम होने लगता है। इससे बाल झड़ने या सफेद होने लगते हैं। रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा

और क्रोधी हो जाता है।


रोग की पहचान what is acidity reflux


छाती के बीचों-बीच में जलन, इपीगैस्ट्रिक स्थान पर जलन व दर्द रोगी अँगुली का इशारा कर बताता है। खट्टी डकारें, मुँह में खट्टा व कड़वा जल भर आना, गर्म पेय या तला हुआ भोजन लेते ही जलन का होना आदि लक्षणों के देने पर रोग को पहचानने में कोई कठिनाई नहीं होती है।


रोग का परिणाम


इस व्याधि के उपद्रव स्वरूप कभी-कभी त्वचा के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। सावधानी न बरतने पर आगे चलकर पेट में अल्सर हो जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में आमाशय में तीव्र पीड़ा होती रहती है। रोग के अधिक जीर्ण होने पर दस्त के साथ आँव और पित्त निकलने की शिकायतें आम होने लगती हैं।

चिकित्सा विधि

भोजन की ओर विशेष ध्यान दें। खट्टे-चटपटे, मिर्च-मसालेदार तेल, घी, चिकनाईयुक्त खाद्य पदार्थ तत्काल बंद करा दें। चाय, कॉफी, शराब (मद्य), माँस, तम्बाकू, आधुनिक मसालेदार पुड़िया आदि का पूर्ण निषेध |आँवला और अनार को छोड़कर कोई खट्टा फल खाने को न दें। नये रोग में प्रोटीनयुक्त भोजन दिया जा सकता है। 

पथ्य एवं सहायक चिकित्सा

इस रोग में मैदायुक्त भोजन, आलू, गरिष्ठ भोजन, अधिक मात्रा में शक्कर, मिठाई, मिर्च और खट्टी चीजें न दें। आलू का सेवन उपयुक्त नहीं है। सुबह अण्डा, दोपह को हल्का भोजन, दूध, तीसरे पहर मक्खन लगे टोस्ट और शाम को हल्का आहार दे खाने से पहले Hydrochloric acidil. और खाने के बाद सोडा बाई कार्ब गोली दें।

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नोट-सोडा बाई कार्ब को शहद में मिलाकर 4-4 घण्टे बाद चटाने से भी लाभ होता मैग कार्ब भी दिया जा सकता है।

आधुनिक उपचार


रोगी को शुरू से ही एन्टासिड (Antacids) दें। प्रत्येक 4 से 6 घण्टे में 3 चम्मच एन्टासिड लें। जैसे

1. म्यूकेन जैल (Mucaine gel) 

2. डाइजिन जैल (Digine gel) या डाइजिन टेबलेट।

3. पोलीक्रोल फोर्ट जैल (Polycrol forte gel) |

 इसको लेने से जलन व दर्द में आराम मिलता है। उल्टी की शिकायत होने पर

इन्जेक्शन द्वारा मेटोक्लोप्रामाइड दें। इन्जेक्शन पेरीनॉर्म (Perinorm) । एम्पुल माँसपेशीगत या आई० वी० अथवा मेटोक्लोप्रामाइड की गोली दें।

अम्लपित्त / खट्टी डकारें आना / आमाशय की अम्लता |

यदि रोगी को हाथ में इन्फैक्शन हो तो एण्टीबायोटिक औषधियाँ भी देनी चाहिये। * करोसिव पायजनिंग के लिये शुरू में ही एण्टीडोट दें। रोगी को प्रत्येक अवस्था में इन्जेक्शन के द्वारा H, रिसेप्टर (Antagonist) दे सकते हैं। जैसे- इन्जे० एसिलोक (Aciloc) 2 ml. माँसपेशीगत या आई० वी० या इन्जेक्शन रेनटेक (Rantac ) 2ml. माँसपेशीगत या आई० वी० ।


* यदि ज्यादा खाना खाने से या चिकनाईयुक्त भोजन से रोग हो तो ईनो (Eno) या पेपेज (Pepz) ले सकता है। इससे तुरन्त आराम मिलता है।



Tuesday, April 13

Stomatitis मुंह के अंदर छाले

 मुखपाक/मुंह के छाले/मुंह पकना/ stomatitis

इसमें रोगी के मुंह के अंदर जीव और गले की दीवारों पर वर्ण या छाले हो जाते हैं छालों में तीव्र वेदना होती है खाने पीने में काफी तकलीफ होने लगती है  तेज मिर्च मसालेदार पदार्थ खाना खाते ही रोगी  वेदना से बिलबिला जाता है तकलीफ होने लगती है और ठीक से बोल पाने में भी असमर्थ हो जाता है इस रोग से ग्रस्त रोगी को बेहद स्पष्ट होता है यह एक आम रोग हैं इसे मुखपाक ,मुंह के छाले,मुंह पकना और stomatitis भी कहते हैं 

Stomatitis
Stomatitis


रोग के प्रमुख कारण

  • कफवर्धक पदार्थों का अधिक सेवन करना
  • यदि मुंह की अच्छी तरह सफाई ना की जाए तो भी  समय बीतने पर मुंह के छाले पड़ जाने की पूरी संभावना होती है
  • जो लोग पान तंबाकू आदि  माउथ साफ ना रखने के कारण और पान तंबाकू का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं उनके मुंह में भी छाले पड़ जाते हैं
  • आधुनिक विज्ञान के अनुसार यदि आहार में विटामिन सी और विटामिन बी की कमी से होता है यह विटामिंस फलों और सब्जियों में भी पाए जाते हैं  जैसे यह विटामिंस  (vitamins)की कमी होने जाती है तो मुंह में छाले पड़ जाती हैं
  • संग्रहणी जैसे रोगों में भोजन के इन तत्वो का अभी शोषण करने की क्षमता की कमी हो जाने से भी मुंह में छाले पड़ जाते हैं
  • जो छोटे बच्चे चॉकलेट,चिंगम,बर्फ के गोले आदि अधिक मात्रा में खाते हैं उनके मुंह में कभी-कभी एलर्जी होने से भी मुंह में छाले पड़ जाते

रोग के प्रमुख लक्षण

  1. यदि मुंह में किसी प्रकार का स्वादा महसूस ना  होता हो मुंह काफी फीका बना रहता है  मुंह बार-बार सूखता हो या उस में कड़वाहट बनी रहती हो तो समझ लेना चाहिए कि पेट की पाचन क्रिया बिगड़ चुकी है
  2. यदि पेट में गर्मी बढ़ जाए अपच हो जाए अथवा इसमें पित्त एकत्रित हो जाए तो वह मुख पाक हो जाता है यानी मुंह में छाले पड़ जाते हैं तालू गलसुआ के अंदर यानी पूरे मुंह में जहां-जहां भी म्यूकस मेंब्रेन होती है वहां  छाले हो जाते हैं मुंह लिसा लिसा सा हो जाता है और उस में जलन होने लगती है मुंह में लालिमा लिए हुए छाले साफ दिखाई देते हैं भोजन करते समय यदि आहार इन छालो से रायगढ़ खा जाते हैं तो जलन होने लगती है गर्म आहार भी मुंह में नहीं रखा जा सकता दिनभर बेचैनी बनी रहती है और किसी काम में मन नहीं लगता है वेदना के कारण रोगी ठीक से बोल नहीं पाता है बोलने पर छालों मैं पीड़ा होती है रोगी के मसूड़ों में सूजन हो जाती है छाले हो जाने पर रोगी के मुख से दुर्गंध आने लगती है रोगी की सांस में दुर्गंध आती है तथा छालों का अंदरूनी हिस्सा लाल सुर्ख हो जाता है कुछ रोगियों के तालू में सूजन आ जाती है रोगी को कब्ज की शिकायत रहती है या दस्त लगे रहते हैं मल भी कठोर रहता है योगी बार-बार थूकता रहता है

  • छालों पर ग्लिसरीन या वोरो- ग्लिसरीन लगाने से लाभ होता है।
  • शहद मुख में लगाने से लाभ होता है पानी में शहद मिलाकर कुल्ले करने से आशातीत लाभ मिलता है।
  • नीम के पानी में शहद मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है। शहद और दही मिलाकर चटाने से भी फायदा होता है। कच्चे दूध में शहद मिलाकर गरारे करने से भी जल्दी लाभ होता है ।
  • विटामिन 'बी' कॉम्पलेक्स तथा विटामिन 'सी' प्रयोग करना हितकर होता है।

अनुभूत चिकित्सा


'गुडमैन्स' कम्पनी का 'गुडमैन्स मुँह के छालों की दवा' मुँह के हर प्रकार के छालों की उत्कृष्ट औषधि है। इस औषधि को दिन में 2 बार जीभ पर लगाकर लार टपकाना चाहिये। साथ ही चरक कम्पनी की मेनोल 2-2 टिकिया दिन में 2 बार दें। यदि रोगी को कब्ज की भी शिकायत रहती हो तो 'हरबोलेक्स' (हिमालय) की 3-3 टिकिया रात को सोते समय दें।

सामान्य पथ्यापथ्य एवं सहायक उपचार


1. आहार में दूध का उपयोग अधिक करें। दूध में चावल और शक्कर डाल कर पकाई हुई खीर रोगी के लिये आहार और औषधि दोनों का काम करती है । इसके लिये गाय या बकरी का दूध उत्तम होता है । डेरी का दूध, आइस्क्रीम का भी सेवन किया जा सकता है। आइस्क्रीम मुँह में शीतलता प्रदान करती है। यदि छोटे बच्चों का मुँह आ गया हो तो सीधे बकरी के थन से दूध की धार बच्चे के मुँह पर छोड़ने से आराम मिलता है। प्यास लगने पर ताजा और फीकी छाछ पीनी चाहिये। इसमें जीरा, धनियाँ-जीरा और नमक भी डाला जा सकता है। छाछ से शान्ति मिलती है। छाछ से सम्पूर्ण पाचनतंत्र में भी सुधार होता है। दिन में सुबह शाम 2 बार मामूली सा नमक और जीरा मिलाकर नीबू का शर्बत पियें। नीबू पेट की गड़बड़ी और मुँह के छालों को मिटाने में बहुत सहायता करता है। अनार का रस लिया जा सकता है। इससे मुँह के छाले के घावों को भरने में सहायता मिलती

चिकित्सा विधि


रोगी जब मुखपाक या मुख के छालों की शिकायत लेकर आता है तब उससे पूछताछ करने पर अक्सर रोगी पाचन विकार का शिकार मिलता है। कब्ज भी हो सकती है। 
1. सर्वप्रथम यदि कब्ज हो तो रोगी को एनीमा दें। ग्लिसरीन सपोजीटरी भी प्रयोग की जा सकती है। कब्ज के लिये रात को सोने से पूर्व रोगी को 4-6 चम्मच ईशबगोल दूध में घोलकर निगलने की सलाह दें।

2. रोगी को मुख साफ करने का निर्देश दें।
3.संक्रमण से बचाव की चिकित्सा के लिये संक्रमणनाशक लोशन से कुल्ले करने का निर्देश दें ।
4. रोगी को पर्याप्त विटामिन्स तथा मिनरल्स का प्रयोग कराना चाहिये ।

Thursday, March 25

5 Amezing Hyperacidity Home Remedies

 Hyperacidity: एसिड अपच से छुटकारा पाने के लिए 5 अतुल्य प्राकृतिक उपचार

Saturday, February 27

insulin kya hai

 

इंसुलिन क्या है और यह कैसे हमारे शरीर में काम करता है


इंसुलिन एक पेप्टाइड हार्मोन यानी कि डिलीवरी ब्वॉय जैसा काम करने वाला हार्मोन से है जो अग्नाशय के आइलेट के beta cells कोशिका द्वारा निर्मित होता है यह शरीर का मुख्य  digestive उपचय हार्मोन माना जाता है।  यह रक्त में ग्लूकोज के अवशोषण को जिगर वसा और bodystructureकंकाल यानी लीवर, नसों और हड्डियों की कोशिकाओं में ग्लूकोज के अवशोषण को पहुंचाने या बढ़ावा देकर कार्बोहाइड्रेट वसा और प्रोटीन के चयापचय को नियंत्रित करता है

इंसुलिन हमारे शरीर का एक हारमोंस है जिसका निर्माण पेनक्रियाज में होता है हमारे पेनक्रियाज बीटा सेल्स को निकालता है जो कार्बोहाइड्रेट को कन्वर्ट करके ब्लड शुगर बनाता है इंसुलिन के जरिए यह ब्लड शुगर ऊर्जा में तब्दील हो जाता है अगर पेनक्रिया  इंसुलिन बनाना बंद करते हैं तो ब्लड ग्लूकोस में कन्वर्ट नहीं होगा और डायबिटीज की बीमारी होती है इंसुलिन हमारे शरीर का मीन एनर्जी सोर्सेस हैइस के बिगड़ने से ही डायबिटीज की बीमारी होती है

 Insulin हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। इस के जरिए ही रक्त में कोशिकाओं को शुगर मिलती है यानी यह शरीर के अन्य भागों में blood sugar पहुंचाने का काम करता है।