Showing posts with label ENT. Show all posts
Showing posts with label ENT. Show all posts

Wednesday, September 17

जब बजती हो कानों में सीटी

 क्या आपके कान में हमेशा सिटी की आवज सुनाई देती है या फिर ऐसा महसूस होता है कि आप किसी शोरगुल वाली जगह पर बैठे हैं यह सेहत से जोड़ी किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है

जब बजती हो कानों में सीटी
जब बजती हो कानों में सीटी


कानों में अक्सर सीटी, घंटी, गूंज या भिनभिनाहट जैसी आवाजें सुनाई देती हैं, जबकि आस-पास कोई आवाज नहीं होती? अगर हां, तो यह टिनिटस

नामक समस्या का संकेत हो सकता है। यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह शरीर के किसी स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा कर सकती है। टिनिटस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को कानों में बिना किसी बाहरी स्रोत के बार-बार आवाजें सुनाई देती हैं। ये आवाजें सीटी, घंटी, धड़कन जैसी हो सकती हैं या कई बार शोरगुल या गूंज की तरह लगती हैं। यह आवाज एक या दोनों कानों में सुनाई दे सकती है और इसकी तीव्रता हल्की से गंभीर तक हो सकती है।


किन्हें है अधिक खतरा : टिनिटस की समस्या करीब 15-20 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है। उम्र बढ़ने के साथ (विशेष रूप से 60 वर्ष से ऊपर) लोगों को यह समस्या हो सकती है। तेज शोर वाले वातावरण जैसे- ट्रैफिक, मशीनरी या तेज संगीत सुनने से भी यह समस्या हो सकती है। हाल के वर्षों में तेज आवाज में म्यूजिक सुनने की आदत के कारण ऐसी समस्या युवाओं में भी बढ़ी है। अगर आप लंबे समय तक हेडफोन का उपयोग करते हैं, तो आप भी इस समस्या का शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा तनाव, नींद की कमी, डिप्रेशन, साइनोसाइटिस, हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉइड या डायबिटीज भी इसके कारण बनते हैं।

कारण की पहचान : टिनिटस होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- कानों में वैक्स जमना, कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव, बहुत तेज आवाजों के संपर्क में रहना, कान में संक्रमण या परदा फटना, कान की हड्डी की समस्या, दांतों की बीमारियां या जबड़े की समस्याएं, सिर में चोट लगना, ब्रेन ट्यूमर, हाई बीपी, हार्मोनल बदलाव विशेषकर महिलाओं में हार्मोनल बदलाव से टिनिटस हो सकता है। इनके अलावा दिल और रक्तवाहिनियों से जुड़ी समस्याएं भी टिनिटस का कारण बन सकती हैं।


लक्षणों की अनदेखी : अगर आपको कई हफ्तों या महीनों से लगातार आवाजें सुनाई दे रही हैं और यह आपकी सुनने की क्षमता या नींद को प्रभावित कर रही हैं तो तुरंत जांच करवाने की जरूरत है। विशेष रूप से यदि आवाजों की तीव्रता बढ़ रही हो, सुनाई देना कम हो रहा हो, कान से पानी या पस आ रहा हो। इन स्थितियों में ईएनटी विशेषज्ञ से जांच करवाना आवश्यक है। जरूरत पड़ने पर चिकित्सक आपको सीटी स्कैन या एमआरआई कराने की सलाह भी दे सकते हैं।

बहरापन या मानसिक समस्या : टिनिटस की समस्या को लंबे समय तक नजरअंदाज करने से जीवन की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ सकता है। इससे चिड़चिड़ापन, एकाग्रता में कमी, नींद न आना, मानसिक तनाव और अवसाद हो सकता है। इसके अलावा गंभीर मामलों में आत्मघाती विचार भी आ सकते हैं।

उपचार भी जान लें : टिनिटस का कोई स्थायी इलाज अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन कई तरीकों से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है, जैसे-कान की सफाई और वैक्स हटाना, कुछ दवाओं का सेवन कर, हियरिंग एड या टिनिटस मास्किंग डिवाइस (जो बैकग्राउंड साउंड से अवांछित आवाजों को दबाते हैं), साउंड थेरेपी (धीमा संगीत या व्हाइट, नॉइज की मदद से राहत), बिहेवियरल और कॉग्निटिव थेरेपी, योग, ध्यान और स्ट्रेस मैनेजमेंट की मदद से इस परेशानी को कम किया जा सकता है।


बेहतर खान-पान पर ध्यान जरूरी

सही खान-पान से टिनिटस के लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। मैग्नीशियम नसों की कार्यक्षमता को बेहत्तर बनता है। इसके लिए आप पालक, बादाम का सेवन कर सकते हैं। जिंक रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। इसके लिए आप

कद्दू के बीज, फलियों का सेवन कर सकते हैं। विटामिन बी-12

न्यूरल हेल्थ के लिए जरूरी होता है। इसके लिए आप अंडा, मछली और दूध का सेवन कर सकते हैं। विटामिन डी और ई ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाव करते हैं। इसकी आपूर्ति के लिए आप डेयरी उत्पाद और अखरोट का सेवन करें। साथ ही धूप में समय बिताने से भी विटामिन डी मिलता है। टिनिटस से बचाव के लिए तेज आवाज में संगीत न सुनें। शोर वाले वातावरण में ईयर प्लग का उपयोग करें। इसके अलावा पर्याप्त नींद लें और तनाव से बचें। नियमित व्यायामउ समय तक बना रहता है, तो ईएनटी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

Google Translate के माध्यम से किसी भी भाषा में पढ़ सकते हैं ऊपर कोने पर Google Translate का ऑप्शन है