Thursday, September 11

Anorexia [ आरोचक ]



Anorexia
[ आरोचक ]आरोचक, अंग्रेजी में 'एनोरेक्सिया' तथा आम बोलचाल में खाना खाने की इच्छा न होना। खाना खाने की इच्छा न होने को "अरुचि" कहते हैं। इसको आरोचक भी कहा जाता है क्योंकि भोजन के लेने में ही रुचि न हो वह 'अरुचि है। इसे ऐसे भी कहा गया है कि "भूख होते हुए भी व्यक्ति भोजन को खाने में असमर्थ हो तो वह 'अरुचि कहलाती है या भूख लगी हो और भोजन भी स्वादिष्ट हो, फिर भी भोजन करने की इच्छा न हो तो इसे अरुचि' की ही केहते है
 
यह प्रॉब्लम ज्यादातर मरीजों में कब्ज,चिकनाईयुक्त या कम रेशेदार भोजन के खाने से होती है। खाने के साथ कम मात्रा में पानी पीने से तथा शारीरिक कसरत (Exercise) के कमी में आँतों की कार्यशीलता धीमी हो जाती है। अरुचि मुख्य लक्षण •रोगी को खाने में कोई दिलचस्पी नहीं रहती। यदि वह खाने बैठ भी जाए तो 2-4 कौर अथवा 1-2 रोटी खाकर उठ बैठता है और आगे खाने का मन भी नहीं करता है •मुँह का स्वाद बिगड़ा हुआ, छाती में जलन यानी कि हाइपर एसिडिटी । •थोड़ा खाने के बाद पेट भरा-सा होता है। •रोगी को खट्टी-खट्टी या सूखी डकारें आती हैं। •पेट भारी मालूम पड़ता है और मुँह में पानी-सा भर आता है। •रोगी को थोड़ा सा काम करते ही थकावट महसूस होती है। •किसी कार्य को करने की इच्छा नहीं होती। •चेहरा रुखा रुखा सा दिखाना। •मुख से ग्राम दुर्गंध आना •आहार गले से नीचे उतरने में असमर्थता । •दुबला पतला शरीर। •खून की कमी होने पर भी यह रोग होता है *इस तरीके की समस्या होने पर ये होने वाले रोगों का लक्षण भी हो सकता है •रोग के मुख्य कारण। १.शारीरिक कारण 
  1. fever                                                                   
  2. कब्ज
  3. निमोनिया 
  4. चेचक
  5. खसरा
  6. Typhoid
  7. मलेरिया
  8. आँत में इन्फेक्शन
  9. stomach cancer
  10. Chronic diseases
  11. T.B,
कुछ मरीजों में लम्बे समय तक बिस्तर पर रहना होता है, जैसे- हार्ट अटैक, हिप डिस्लोकेशन कूल्हे की हड्डी का खिसक जाना इन इंफेक्शन की वजह से भी यह बीमारि होती है २.मानसिक कारण चिंता, भय, सदमा,शोक, अतिलोभ, क्रोध एवं गंध. हिस्टीरिया, अनिद्रा तथा अन्य मानसिक स्थितियों में भी भूख लगना बंद हो जाती है अरुचि जैसी स्थिति बन जाती है कब्ज या लिवर में इंफेक्शन होने के कारण भी रोग हो जाता है आंतों में रिंग वॉल की मौजूदगी की वजह से अरुचि होने भी बड़ा कारण है और विटामिन 'बी' कॉम्पलेक्स की कमी से भी भूख कम हो जाती है। इस रोग को होने का शारीरिक कारणों की बजे मानसिक कारणों में ज्यादा महत्व होता है याद रखिए- • अधिक पौष्टिक आहार लेने तथा सारे दिन कार्य न करने से भी 'अरुचि' हो जाती है 
रोग की पहचान खाना न खाना
  • खाने के प्रति इच्छा न होना
  • शरीर में कमजोरी 
  • constipation
  • बेचैनी  आदि लक्षणों से इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। 
रोग के परिणाम 
रोग के अधिक समय तक चलते रहने और उचित चिकित्सा न करने से शरीर की रस, रक्त, मांस आदि धातुएँ सूखने लगती हैं और उसका वज़न अधिकार े एक छंछं जे जेगिर जाता है। 

•चिकित्सा विधि रोग के मूल कारण को दूर करें। 

भूख बढ़ाने या पाचन में सहायता करने के लिए और carminative दवाइयां भी देनी चाहिए भय, चिंता, शोक जैसी स्थितियों से दूर रहें अगर कांसेपशियन की शिकायत हो तो उसे दूर करने के लिए हफ्ते में एक दो बार दवाइयां लेनी चाहिए 
•खाने में क्या लें 
  • मन पसंद खाना दें                                             
  • चटनी
  • रायता
  • अचार 
  • गेहूँ अगहनी-चावल
  • मूँग
  • पतली मूली
  • बैंगन
  • केला 
  • पपीता
  • अंगूर
  • आम
  • घी                                                      
  • लहसुन
  • सिरका
  • दुग्ध
  • दही
  • मट्ठा 
  • काला नमक
साफ सुथरा और सुकून भरी जगह पर खाना खाना चाहिए याद 
रखिए- इस रोग में रोगी के शरीर में रक्त की पर्याप्त कमी हो जाती है। 
ऐसे रोगी में दीपन-पाचन औषधियों के साथ-साथ 'लिवर-एक्स्ट्रेक्ट' का प्रयोग आवश्यक है।
 सप्ताह में एक बार उपवास रखने से भूख में बढ़ोतरी होती है और 'अरुचि' का विकार नष्ट होता है इस बीमारी को ठीक करने के लिए इन दवाइयां का प्रयोग किया जाता है •
  1. Aristozyme 
  2. Becosule                     
  3. Liv 52 
  4. Cypon [Ciplectin]
  5. Unienzyme 
और अगर पेट में कीड़े की शिकायत हो तो वहां पर आपको 
Tablet:-
  1. Albendazol                 
  2. Bandy
  3. Bandy plus

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