Tuesday, February 23

Dysentery

 मल त्याग के समय और उससे पहले भी पेट में मरोड़ और आंतों में ऐंठन होने की शिकायत मिलती है मल में मवाद जैसा चर्बी टाइप की या काला लैट्रिन थोड़ी थोड़ी सी आना बार बार लैट्रिन जाना किसी किसी को लैट्रिन में हल्का ब्लड भी आने की शिकायत मिलती है उसे पेचिस

Dysentery
Dysentery



( Dysentery) कहते हैं

आइए जानते हैं इसके लक्षण पेट में सुई चुगने जैसी पीड़ा होती है जरा जरा सी देर में पैखाना जाने की इच्छा होती है  पेट में अफारा हो जाता है रोगी के शरीर में बदबू आती है और कभी कभी मल के साथ रक्त भी निकलने लगता है इस रोग में जैसे ही मल त्याग करके आता है और शौचालय से बाहर निकल कर बिस्तर पर बैठता है कि इतनी ही देर में दर्द ऐठन शुरू हो जाती है और फिर सोच की इच्छा होती है इस प्रकार उसे बार-बार शौच के लिए भागना पड़ता है इसी को पेचिश कहते हैं

आइए जानते हैं उसके कुछ लक्षण
दस्त लगती रहने पर पर्याप्त देखभाल न करने पर यह रोग बढ़ जाता है
जिस व्यक्ति को अधिक तला हुआ, अधिक तीखा,अधिक गर्म,अधिक मिर्च मसालेदार पदार्थ खाने की आदत है उस व्यक्ति को यह रोग जल्दी होता है
लिवर की कमजोरी से भी यह रोग बार-बार होता है
जो व्यक्ति खाने में वनस्पति घी या डालडा का उपयोग ज्यादा करते हैं उन लोगों को भी यह रोग जल्दी होता है

यह रोग दो प्रकार का होता है

Amoebic dysentery

Bacillary dysentery


अमीबायसिस(Amoebic dysentery)
इसे खूनी पेचिश भी कहते हैं जो बड़ी आंख में एंटेमीबा हिस्टॉलिटिका नामक बैक्टीरिया के कारण होता है
इसमें लैटरीन बार बार आती है और काली या लाल रंग का लैट्रिन आने की शिकायत मिलती है
इस रोग की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें रोगी को बार-बार मल के साथ आओ आती है और इसके साथ उसे मधुर भी होती है
मल की मात्रा कम
म्यूकस अधिक आता है तथा थोड़ी मात्रा में रक्त भी पाया जाता है

बेसिलेरी प्रवाहिका(Bacillary dysentery)
यह dysentery होकर एक प्रकार का अतिसार ही है जो बहुत घातक होता है इसमें रोगी को  बुखार भी आता है
इसमें 10-20 बार पतले दस्त होते हैं पेट में ऐठन के साथ दर्द होता है दस्त में म्यूकस और आओ दोनों होते हैं इस प्रकार के मरोड़ के साथ 102 डिग्री बुखार रहता है अधिक मात्रा में मल त्याग होने से भी रोगी अधिक कमजोर हो जाता है

सावधानियां

इस रोग में  स्वच्छ पानी पीना चाहिए खाने में तरल पदार्थ यानी कि खिचड़ी का उपयोग करना चाहिए और ओआरएस घोल का इस्तेमाल करना चाहिए और अपने डॉक्टर की सलाह अनुसार खाने पीने की व्यवस्था करनी चाहिए

अगर आपको इस रोग का ट्रीटमेंट चाहिए तो हमारे ईमेल पर हमसे संपर्क कर सकते हैं


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