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Heart disease दिल की बीमारी आपके करियर के विकास के लिए क्यों है ठोस सबूत

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दिल की बीमारी आपके करियर के विकास के लिए क्यों है ठोस सबूत

 इनमें से कोई भी समस्या हृदय रोग का सिग्नल हो सकती है 

Heart disease
Heart disease


1. बेहोशी व चक्कर

आमतौर पर कभी-कभार चक्कर आने व बेहोश होने का हृदय रोगों

से कोई रिश्ता नहीं होता। पर अगर एक लम्बे अर्से से नियमित रूप से बेहोशी व चक्कर आने की शिकायत रहती है, तो यह हृदय सम्बन्धी किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है।

 2. छाती में दर्द (Chest Pain) 

यदि आपको अक्सर छाती में दर्द की शिकायत रहती हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप हृदय सम्बन्धी किसी बीमारी से पीड़ित हैं। दरअसल

गैस की शिकायत होने, छाती की माँसपेशियों के खिंच जाने आदि कारणों से भी छाती में दर्द की शिकायत हो सकती है। छाती में बहुत से रोगों से दर्द हो सकता है। जैसे- मायोकार्डियल Pectoris) इन्फ्राक्शन में बहुत तेज दर्द होता है जिसे हृदयशूल (एन्जाइना पेक्टोरिस-Angina कहते हैं।

* हृदयावरण शोथ में बायें निप्पल के नीचे दर्द होता है । फुफ्फुसीय संक्रमण में प्लूरा में दर्द होता है।

* छाती के बिलकुल बीच वाले हिस्से में ऐंठन या मरोड़ के साथ दर्द होना हृदय (Coronary) के किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है। धमनी

अतएव सुरक्षा की दृष्टि से यही उचित होगा कि छाती में किसी भी तरह के दर्द के लगातार होने पर आप फौरन अपने डॉक्टर से सलाह लें

3.साँस की तकलीफ

 अगर कोई हल्का-फुल्का काम करने या आराम के दौरान भी आप को सांस लेने में हमेशा कठिनाई होती है तो हो सकता है कि आप किसी हृदय संबंधित बीमारी से पीड़ित हो सांस लेने में दिक्कत खींचकर सांस लेना हृदय रोग का प्रमुख लक्षण है आमतौर पर सांस लेने की प्रक्रिया आपने आप बिना किसी अनुभव के होती है पर इसमें रोगी को सांस लेने में बेचैनी अथवा सांस खींच खींच कर आती है रोगी को सांस लेने में जोर लगाना पड़ता है अथवा मेहनत करनी पड़ती है


 हृदय रोग में रोगी जल्दी व कम गहरे साँस लेता है पर श्वसन तंत्र के रोग में सीटी की सी आवाज आती है व साँस लेने की माँसपेशियों का ज्यादा इस्तेमाल होता है।


4. हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension) 

 यदि आपका ब्लड प्रेशर हाई है, बावजूद इसके आप उसका इलाज नहीं करा रहे हैं, तो यकीनन इसका दुष्प्रभाव हृदय पर पड़ सकता है। चूँकि ब्लड प्रेशर सामान्य से ज्यादा है या नहीं इसका बगैर डॉक्टर चेक-अप के कुछ खास अंदाजा नहीं लग पाता लिहाजा बेहतर यही है कि आप कम से कम साल में एक बार अपने ब्लड प्रेशर की जांच आवश्यक करा लें यदि ब्लड प्रेशर सामान्य से अधिक है तो उसका उचित इलाज कराएं


5. टखनों में सूजन-

 टखनों में सूजन या टखनों के ऊतकों में पानी भरने (Retation of water) की शिकायत होने पर भी दिल का दौरा पड़ने का खतरा रहता है।

6. कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना

आपके खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने का मतलब ही है कि कभी भी आप हृदय रोग की चपेट में आ सकते हैं। इसलिये खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा पर कन्ट्रोल करके आप हृदय रोगों की सम्भावनाओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं। यदि आपके खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 180mg% से कम है तो आपके हृदय रोगों के शिकार होने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है। यदि खून में कोलेस्ट्रॉल 290mg% से ज्यादा हो तो आपके हृदय रोगों के शिकार होने की सम्भावना उन व्यक्तियों से 9 गुना ज्यादा है जिनके खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200mg% है। इसलिये आपके लिये अपने खून में उपस्थित कोलेस्ट्रॉल की मात्रा की नियमित जाँच कराना और अगर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा सामान्य से ज्यादा हो तो


उसका इलाज कराना आवश्यक है। ध्यान रहे- कोलेस्ट्रॉल को कन्ट्रोल में रखने के लिये चर्बी वाले खाद्य पदार्थों यथा- माँस, अण्डे, घी, मक्खन के बजाय हरी सब्जियों, फलों व रेशे वाले खाद्य पदार्थों (vitamins)का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। इसके अलावा धूम्रपान के साथ-साथ शराब व मानसिक तनावों से छुटकारा पाकर आप अपने हृदय को लम्बे समय तक स्वच्छ रख सकते हैं।

7. स्पन्दन (Palpitation) 

  इसमें रोगी हृदय की धड़कन (Palpitation) को अनुभव करता है। यह बहुत ज्यादा वर्जिश एवं घबराहट के कारण होता है। ज्यादा चिंता, खून की कमी व थाइरोटोक्सीकोसिस अन्य सहायक कारण हैं।

8 मूर्च्छा (Syncope) 

 इसमें रोगी अचानक बेहोश होकर गिर जाता है। ऐसा मस्तिष्क में रक्त प्रवाह व रक्त निवेशन दबाव के कम होने से होता है। महाधमनी व फुफ्फुसीय संकीर्णता.हृदय अतालता से मूर्च्छा आ सकती है। 

9.थकावट व कमजोरी

यह लक्षण किसी भी रोग में हो सकते हैं, पर हृदय रोग में कार्डियक आउटपुट के कम होने से मिलते हैं। हृदय सम्बन्धी दवाइयों की वजह भी अधिक पेशाब आने पर कमजोरी व थकावट महसूस होती है। 

10. ऊर्ध्वस्थ श्वसन (Orthopnoea) 

 इस लक्षण में रोगी को सीधा लेटकर साँस लेने में दिक्कत होती है। इन रोगियों में प्रायः श्वास-कष्ट (Dyspnoea) की शिकायत पहले से रहती है। रोगी रात में अचानक उठकर लम्बी-लम्बी साँस लेने लगता है।

11. प्रवेगी रात्रि श्वास कष्ट (Paroxysmal Noeturnal Dyspnoea) 

यह तकलीफ बायें हृदय के काम न करने पर होती है। इसमें रोगी को सोने से पहले ही साँस लेने में दिक्कत आती है। सोने के बाद फेफड़ों में पल्मोनरी बेनस दबाव और बढ़ जाता है। रोगी को अचानक उठकर लम्बी-लम्बी साँस लेनी पड़ती हैं एवं बेचैनी महसूस होती है। वह खिड़की के पास जाकर लम्बी सांस लेता है इसके बाद रोगी को खांसी आने के साथ  पलमोनरीऑडिमा हो जाता है

12. फुफ्फुसीय शोथ (Palmonary Oedema)

 यह वायुकोष्ठिका में द्रव के एकत्र होने से होता है। हृदय रोग में अधिक पल्मोनरी व केपीलरी दबाव से फेफड़ों में द्रव एकत्र हो जाता है।

रोगी को साँस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ होती है व साथ में खाँसी होकर झाग भरा बलगम निकलना प्रारम्भ हो जाता है। कभी-कभी बलगम के साथ खून भी आ जाता है। रोगी की त्वचा ठंडी, नीली व नम होती है। जीभ व नाखून नीले हो जाते हैं। फेफड़ों में कर-कर (Crepts) व सीटी की सी आवाज सुनाई देती है।

यह लक्षण निम्नलिखित स्थितियों में मिलता है 

  • बहुत ज्यादा ब्लड प्रेशर होने पर।
  • एक्यूट मायोकार्डियल इन्फार्कशन (Acute M. I.) 
  • माइट्रल स्टेनोसिस (Mitral Stenosis) 
  • गर्भावस्था (Pregnancy)
  • हृदय अतालता (Cardiac Arrhythmias)
  • श्वसन तंत्र के रोग (Respiratory diseases)


हृदय रोग में मिलने वाले चिन्ह

  • नील रोग (Cyanosis)
  • सूजन (Oedema)
  • हाथ व पैरों की अँगुलियों के आगे वाले हिस्से मोटे हो जाते हैं (Clubbing of Fingers)
  • पीलिया (Icterus)
  • ब्लड प्रेशर सामान्य से कम या ज्यादा होता है।
  • जुगलर वेसन प्रेशर (J.V.P.)-कार्डियक फेल्योर में बढ़ जाता है।


परीक्षण / जाँच (Investigation) -


  •  एक्स-रे चेस्ट (X-Ray Chest) 
  • ई. सी. जी. (Electrocardiography)
  • इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)
  • फोनोकार्डियोग्राफी(Phonocardiography)
  •  एन्जियोकार्डियोग्राफी (Angiocardiography)
  • कोरोनरी एन्जीयोग्राफी (Coronary Angiography)
  •  रेडियोन्युक्लाइड स्कैनिंग (Radionuclide Scanning)
  • किसी भी बीमारी को समझने के लिए या किसी भी दवा को यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह आवश्यक ले अगर ऐसा नहीं करती हैं तो इसके जिम्मेदार खुद आप हैं 

Heart disease दिल की बीमारी आपके करियर के विकास के लिए क्यों है ठोस सबूत Heart disease दिल की बीमारी आपके करियर के विकास के लिए क्यों है ठोस सबूत Reviewed by yunus health tips 786 on April 15, 2021 Rating: 5

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